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रूस के तेल बाजार में गिरावट: भारत और चीन ने रोके ऑर्डर, क्या है इसका असर?

रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर अब स्पष्ट हो रहा है, जिससे भारत और चीन ने रूसी तेल के ऑर्डर रोक दिए हैं। इस स्थिति के कारण यूराल क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वैश्विक तेल व्यापार में अस्थिरता पैदा कर सकता है। जानें कि कैसे ये घटनाक्रम रूस की वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं और एशियाई बाजार में क्या बदलाव आ सकते हैं।
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रूस के तेल बाजार में गिरावट: भारत और चीन ने रोके ऑर्डर, क्या है इसका असर?

रूस के तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव


नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए कड़े प्रतिबंध अब धीरे-धीरे असर दिखाने लगे हैं. भारत और चीन, जो रूस के सबसे बड़े तेल खरीदारों में शामिल हैं, ने इन कंपनियों से तेल की खरीद सीमित कर दी है. इसके परिणामस्वरूप रूस को अपने यूराल क्रूड (Urals Crude) की कीमतों में कटौती करनी पड़ी है. दिसंबर डिलीवरी के लिए यूराल क्रूड की कीमत ब्रेंट क्रूड के मुकाबले लगभग चार डॉलर प्रति बैरल सस्ती कर दी गई है. यह पिछले एक साल में यूराल क्रूड का सबसे सस्ता स्तर माना जा रहा है.


भारत और चीन ने तेल के ऑर्डर रोके

भारत और चीन ने तेल के ऑर्डर रोके 
अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में भारत की प्रमुख रिफाइनरी कंपनियों हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL), भारत पेट्रोलियम (BPCL), मेंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL), HPCL-मित्तल एनर्जी (HMEL) और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दिसंबर डिलीवरी के लिए रूसी तेल के ऑर्डर रोक दिए हैं. ये पांचों कंपनियां मिलकर भारत के रूसी तेल आयात का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा खरीदती हैं. दूसरी ओर, चीन की सरकारी तेल कंपनियों ने भी समुद्री रास्ते से आने वाले रूसी तेल की खरीद निलंबित कर दी है. इसके चलते ESPO ब्लेंड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट आई है.


वैश्विक तेल व्यापार में अस्थिरता

वैश्विक तेल व्यापार में अस्थिरता
रूस की तेल छूट और प्रतिबंधित कंपनियों की खरीद पर रोक के कारण एशियाई तेल बाजार दो हिस्सों में बंट गया है. एक तरफ गैर-प्रतिबंधित आपूर्तिकर्ताओं से आने वाला तेल प्रीमियम पर बिक रहा है, जबकि दूसरी तरफ प्रतिबंधित कंपनियों से जुड़े तेल की कीमत भारी छूट पर है. इस स्थिति ने वैश्विक तेल व्यापार में अस्थिरता पैदा कर दी है. भारत में रूसी तेल की कुल मांग में भी तेज गिरावट देखने को मिल रही है और दिसंबर में आयात में बड़ी कमी की संभावना है.


रूस की वित्तीय और रणनीतिक स्थिति

रूस की वित्तीय और रणनीतिक स्थिति
रूस द्वारा कीमतों में बढ़ाई गई छूट उसकी वित्तीय स्थिति को और कमजोर कर सकती है. फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस लगातार पश्चिमी प्रतिबंधों के तहत दबाव में है. ट्रंप का आरोप है कि भारत और चीन रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं. भारत, अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए, रूसी तेल की खरीद जारी रख रहा है.


कीमतों में छूट जारी रखना चुनौतीपूर्ण

कीमतों में छूट जारी रखना चुनौतीपूर्ण
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस के लिए बिक्री में कमी और कीमतों में छूट जारी रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है. इसके साथ ही भारत और चीन के रूसी आयात में कमी वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता बढ़ा सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति न केवल रूस की वित्तीय मजबूती पर असर डालेगी, बल्कि एशियाई बाजार और तेल व्यापार में रणनीतिक बदलाव भी ला सकती है.