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वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव: विदेश मंत्री जयशंकर का बयान

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पुणे में एक समारोह में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में आए बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि अब शक्ति और प्रभाव के कई नए केंद्र उभर रहे हैं और यह प्रतिस्पर्धा संतुलन का निर्माण करती है। जयशंकर ने वैश्वीकरण के प्रभाव और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस लेख में उनके विचारों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
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वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव: विदेश मंत्री जयशंकर का बयान

वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक बदलाव

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को बताया कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिसके चलते दुनिया में शक्ति और प्रभाव के नए केंद्र उभरकर सामने आए हैं।


पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड विश्वविद्यालय) के 22वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "कोई भी राष्ट्र, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सभी मुद्दों पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकता।"


उन्होंने आगे कहा, "यह भी दर्शाता है कि देशों के बीच स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा मौजूद है, जो अपने आप में संतुलन का निर्माण करती है।"


शक्ति के नए केंद्र

जयशंकर ने यह भी कहा कि शक्ति और प्रभाव के कई नए केंद्र उभर रहे हैं।


उन्होंने शक्ति की अवधारणा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जैसे व्यापार, ऊर्जा, सैन्य क्षमता, संसाधन, प्रौद्योगिकी और प्रतिभा, और इसे बेहद जटिल बताया।


उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब वैश्विक शक्तियां सर्वव्यापी होने में सक्षम नहीं हैं।


वैश्वीकरण का प्रभाव

विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्वीकरण ने हमारे सोचने और कार्य करने के तरीकों को मौलिक रूप से बदल दिया है।


उन्होंने यह सुझाव दिया कि एक बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाने के लिए व्यापक और आधुनिक विनिर्माण क्षमताओं का विकास करना आवश्यक है।