शेयर बाजार की वास्तविकता: मध्य वर्ग की निराशा और निवेशकों की हानि

शेयर बाजार की स्थिति पर चिंता
इस सप्ताह सोशल मीडिया पर एक शीर्षक ने ध्यान खींचा। क्या हम हमेशा खुद को मूर्ख बनाते रहेंगे? भारत का मध्य वर्ग और छोटे निवेशक कितने और ठगे जाएंगे? वास्तविकता यह है कि शेयर बाजार ने मध्य वर्ग को निरंतर परेशान किया है। म्यूचुअल फंड भी वादे के अनुसार रिटर्न नहीं दे पा रहे हैं। पिछले साल के सेबी अध्ययन के अनुसार, 2022-2024 के बीच एक करोड़ से अधिक रिटेल सटोरियों में से 93 प्रतिशत को नुकसान हुआ। औसत ट्रेडर को लगभग दो लाख रुपये का घाटा हुआ। शीर्ष निवेशकों में से 3.5 प्रतिशत को औसतन 28 लाख रुपये का नुकसान हुआ। और जिन 7 प्रतिशत ट्रेडर्स ने लाभ कमाया, उनमें से केवल 1 प्रतिशत ने एक लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया।
मध्य वर्ग की आर्थिक स्थिति
इसका मतलब यह है कि शेयर बाजार में तेजी की सभी खबरों के बीच, छोटे और मध्यम वर्गीय निवेशक लगातार नुकसान में हैं। भारत का शेयर बाजार पूरी तरह से विदेशी निवेशकों, संस्थागत खिलाड़ियों और कॉर्पोरेट्स के हाथों में है, जिससे देश का मध्य वर्ग और वास्तविक अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है। शेयर बाजार और बड़े शहरों में महंगे फ्लैटों की बिक्री से यह स्पष्ट होता है कि यह एक क्रोनी पूंजीवाद का खेल है, जिसमें केवल कुछ ही लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
आर्थिक असमानता का प्रभाव
भारत की 140 करोड़ की जनसंख्या में से केवल 10 प्रतिशत लोग ही इस खेल में शामिल हैं, जबकि 90 प्रतिशत लोग खर्च करने में लगे रहते हैं। यह खर्च सरकारी सहायता या बैंकों से लिए गए कर्ज पर निर्भर करता है। दूसरी ओर, रियल एस्टेट के बिल्डरों के महंगे प्रोजेक्ट्स की घोषणा होती है, जो केवल व्यापारियों के लिए फायदेमंद होते हैं। इस तरह की आर्थिक नीतियों से 2047 तक देश की जीडीपी को 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का सपना दिखाया जा रहा है।
भविष्य की चुनौतियाँ
ध्यान दें, भारत की 90 प्रतिशत जनसंख्या एसी या कार का सपना नहीं देखती। उनकी जिंदगी की आवश्यकताएं और पैसे की कमी उनके लिए प्राथमिकता है। युवा आबादी की बढ़ती संख्या के साथ, यह वर्ग आर्थिक असमानता का सामना कर रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोग धीरे-धीरे कौशल आधारित कामों में समृद्ध हो रहे हैं, जबकि हिंदू युवा शहरों में डिलीवरी और सेवा क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जो भविष्य में एआई द्वारा प्रभावित हो सकते हैं।
शेयर बाजार की वास्तविकता
भारत की ताकत उसकी उपभोक्ता जनसंख्या में है, जो दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है। सरकारी योजनाओं के लाभार्थी और औसत मध्य वर्ग का खर्च ही भारत की असली ताकत है। शेयर बाजार में हरियाली दिखाकर, विकसित भारत के प्रोपेगेंडा के तहत लोगों को भ्रमित करना, हमारी आर्थिक नीति का मूल है। कोविड के बाद 19 करोड़ डिमेट खाता खुलने के बावजूद, मध्य वर्ग की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। सेबी के अध्ययन के अनुसार, 2022-2024 के दौरान निवेशकों को 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 30 वर्ष से कम उम्र के सटोरियों में 93 प्रतिशत को नुकसान हुआ है। इसके बावजूद, शेयर बाजार में हरियाली की खबरें लगातार सुर्खियों में बनी रहती हैं!