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शेयर बाजार में गिरावट: जानें प्रमुख कारण

मंगलवार को शेयर बाजार में गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण वित्तीय और आईटी क्षेत्रों में कमजोरी है। इस गिरावट के पीछे RBI की नीतिगत घोषणा, वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी वित्तीय जोखिम शामिल हैं। सेंसेक्स में लगभग 800 अंकों की कमी आई, जिससे बाजार का कुल मार्केट कैप 1.84 लाख करोड़ रुपये घट गया। जानें और भी कारण जैसे ब्याज दरों में संभावित कटौती, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और कमजोर वैश्विक आर्थिक डेटा।
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शेयर बाजार में गिरावट: जानें प्रमुख कारण

शेयर बाजार में गिरावट का विश्लेषण

शेयर बाजार में गिरावट: मंगलवार को शेयर बाजार में गिरावट का सामना करना पड़ा है। इस गिरावट के पीछे वित्तीय, आईटी और ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में कमजोरी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह स्थिति RBI की नीतिगत घोषणा से पहले और वैश्विक व्यापार तनाव तथा अमेरिकी वित्तीय जोखिमों के बीच उत्पन्न हुई है। इस दौरान सेंसेक्स लगभग 800 अंकों तक गिर गया और 24,500 अंक तक पहुंच गया। दिन के 3 बजे BSI सेंसेक्स 584.28 अंक यानी 0.72% की गिरावट के साथ 80,789.47 अंक पर था। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी50 इंडेक्स भी 156.75 अंक यानी 0.63% की गिरावट के साथ 24,559.85 अंक पर ट्रेड कर रहा था। इस गिरावट के कारण BSE में लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 1.84 लाख करोड़ रुपये घटकर 443.66 लाख करोड़ रुपये हो गया।


ब्याज दरों में संभावित कटौती

ब्याज दरों में कटौती: फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वालर ने संकेत दिया है कि इस वर्ष भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना है, जो आगामी आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी। सितंबर में दरों में कटौती की 75% संभावना जताई जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस संकेत नहीं मिला है।


कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव

कच्चे तेल की कीमतें: उम्मीद से कम आपूर्ति के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं। ब्रेंट क्रूड लगभग 64.75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है, जबकि WTI 62.72 डॉलर पर है। यह पिछले दो महीनों में हुई वृद्धि के अनुरूप है।


वैश्विक व्यापार में तनाव

व्यापार तनाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ को 50% तक बढ़ाने की घोषणा की है, जो 4 जून से लागू होगा। इस खबर ने निवेशकों का विश्वास कमजोर कर दिया है, जिससे टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और हिंडाल्को जैसे भारतीय धातु निर्यातकों के लिए चिंता बढ़ गई है।


कमजोर वैश्विक आर्थिक डेटा

आर्थिक डेटा: हालिया रिपोर्टों से पता चला है कि अमेरिकी विनिर्माण में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है। चीन में भी फैक्टरी गतिविधि में 8 महीनों में पहली बार कमी आई है। अमेरिकी टैरिफ वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर रहे हैं, जिसका असर अमेरिकी और एशियाई बाजारों पर पड़ा है।


अमेरिकी ऋण और बॉंड यील्ड में वृद्धि

अमेरिकी ऋण: अमेरिकी सीनेट एक नए $3.8 ट्रिलियन के कर और व्यय विधेयक पर चर्चा शुरू करेगी। सरकारी उधारी बढ़ने की संभावना ने अमेरिकी बॉंड यील्ड को महत्वपूर्ण 5% स्तर के करीब धकेल दिया है, जिससे वैश्विक इक्विटी बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है।