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शेयर बाजार में गिरावट: मोदी सरकार के जीएसटी उपायों का असर

प्रधानमंत्री मोदी के जीएसटी उपायों के बावजूद, शेयर बाजार में गिरावट जारी है। विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली और अमेरिका की नई टैरिफ नीति ने बाजार को प्रभावित किया है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और मोदी सरकार की भूमिका के बारे में। क्या भारत की अर्थव्यवस्था को इससे कोई लाभ होगा? इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को।
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शेयर बाजार में गिरावट: मोदी सरकार के जीएसटी उपायों का असर

शेयर बाजार की गिरावट का कारण

प्रधानमंत्री मोदी के 2014 से शासन के अनुभवों पर जब भी भविष्य में शेयर बाजार का अध्ययन किया जाएगा, तो यह स्पष्ट होगा कि कोई भी घरेलू निवेशक ऐसा नहीं है जिसे विदेशी सटोरियों ने ठगा न हो। असल में, असली लाभ विदेशी निवेशकों का है। इस सप्ताह एक दिलचस्प घटना हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी में कटौती के बारे में देश को जागरूक किया और यह संदेश फैलाया कि सब कुछ सस्ता हो गया है, जिससे बाजार में भीड़ उमड़ने की उम्मीद थी। ऐसा लगा जैसे लोग खरीदारी के लिए तैयार हैं। घरेलू खपत में वृद्धि और अर्थव्यवस्था को गति देने की बात की गई। इस प्रकार, कंपनियों, दुकानदारों और ग्राहकों के लिए सुनहरा समय था। इसी बीच, शेयर बाजार में भी उछाल की उम्मीद थी।


शेयर बाजार की प्रतिक्रिया

हालांकि, इसके विपरीत हुआ। शेयर बाजार ने न तो ताली बजाई और न ही कोई उत्सव मनाया। लेखन के समय तक, शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी थी। शुक्रवार को गिरावट का मुख्य कारण ट्रंप प्रशासन द्वारा एक अक्टूबर से ब्रांडेड दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा थी। इससे भारत से अमेरिका को होने वाले 3.6 अरब डॉलर के फार्मा निर्यात पर असर पड़ेगा। लेकिन यह गिरावट जीएसटी दर में कमी के बाद शुरू हुई थी। प्रधानमंत्री के लाल किले पर भाषण से लेकर इस सप्ताह तक, जीएसटी के लाभों के बारे में कई बातें की गईं, जैसे आत्मनिर्भर भारत और चिप से शिप तक के निर्माण।


सरकार की भूमिका और विदेशी निवेशक

यह सवाल उठता है कि जब शेयर बाजार पहले हर छोटी बात पर उछलता था, तो इस बार ऐसा क्यों नहीं हुआ? विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जबकि मोदी सरकार के इशारों पर चलने वाली भारतीय निवेशक संस्थाएं शेयर खरीदने में क्यों नहीं जुटी हैं? यदि जीएसटी को सरकार ने मोदी मंत्र के रूप में प्रचारित किया है, तो दिवाली तक के त्योहारी सीजन में क्या शेयर बाजार को 90 हजार तक नहीं पहुंचाना चाहिए था? इससे ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति का भी जवाब मिलता।


भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति

हालांकि, भारत का शेयर बाजार विदेशी संस्थागत निवेशकों के हाथ में है, और उनके पास अब भारत की कहानी का कोई सकारात्मक मसाला नहीं है। इसीलिए निरंतर बिकवाली हो रही है और शेयर बाजार गिर रहा है। भारत की कहानी में न तो उभरती अर्थव्यवस्था का नैरेटिव है और न ही महाशक्ति का जलवा। इसका प्रमाण संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति से भी मिलता है। इस बार विदेश मंत्री जयशंकर भाषण देंगे।


पाकिस्तान की स्थिति

इसके विपरीत, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क में सक्रिय है। हाल ही में खबर आई थी कि राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके जनरल मुनीर को महान नेता बताते हुए उनसे बातचीत की। न्यूयॉर्क में मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ बातचीत में भी ट्रंप ने उन्हें महत्व दिया। वहीं, नाटो महासचिव मार्क रूट ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से संपर्क में हैं। मोदी उनसे पूछ रहे हैं कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का असर भारत पर कैसे पड़ेगा। यह स्पष्ट है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की कूटनीति में भारत अलग-थलग पड़ रहा है।