Newzfatafatlogo

सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट, खाद्य कीमतों में नरमी का असर

सितंबर 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 1.54 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले महीने के 2.07 प्रतिशत से कम है। इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी है। रिज़र्व बैंक ने अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को भी घटाया है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की संभावना है। जानें इस विषय पर और क्या जानकारी है।
 | 
सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट, खाद्य कीमतों में नरमी का असर

खुदरा मुद्रास्फीति में कमी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 13 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट में बताया गया कि सितंबर 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 1.54 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले महीने के 2.07 प्रतिशत से कम है। इस गिरावट का मुख्य कारण सब्जियों और दालों जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार, सितंबर 2024 में मुद्रास्फीति 5.49 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बताया कि मुख्य मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी का कारण अनुकूल आधार प्रभाव और विभिन्न खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट है।


खाद्य मुद्रास्फीति का वर्ष-दर-वर्ष विश्लेषण

सितंबर 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति (-) 2.28 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह (-) 0.64 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष सितंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 9.24 प्रतिशत थी। रिज़र्व बैंक ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को अगस्त में 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई का मानना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी स्थिति और खाद्यान्नों के पर्याप्त भंडार से खाद्य कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।


आरबीआई को मिली राहत

मुद्रास्फीति में आई कमी ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को राहत प्रदान की है। हाल ही में, अक्टूबर में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान, RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया।


अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

विश्लेषकों का मानना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी प्रगति, खरीफ फसल की बुवाई में वृद्धि, जलाशयों में पर्याप्त जल स्तर और खाद्यान्न का अच्छा भंडार खाद्य कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद करेगा। मुद्रास्फीति में यह गिरावट RBI को भविष्य में नीतिगत दरों को नरम रखने की अधिक गुंजाइश दे सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।