सेबी की बोर्ड बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों के हितों के टकराव पर चर्चा
सेबी की महत्वपूर्ण बैठक का एजेंडा
बाजार नियामक सेबी का निदेशक मंडल बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों के हितों के टकराव पर गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट पर विचार करेगा। यह जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को साझा की।
बैठक में अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) मानकों में ढील देने और ‘समापन नीलामी सत्र’ शुरू करने का प्रस्ताव भी शामिल है। यह बैठक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय की अध्यक्षता में होगी, जो इस साल एक मार्च से पद पर हैं।
इस बैठक में विशेष रूप से उस समिति की रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी, जिसने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सुधारों का सुझाव दिया है। पैनल ने सेबी के शीर्ष अधिकारियों के हितों के टकराव को रोकने के लिए संपत्तियों के सार्वजनिक खुलासे की सिफारिश की है। यह रिपोर्ट 10 नवंबर को सेबी प्रमुख को सौंपी गई थी।
रिपोर्ट में शामिल प्रमुख सुझाव
रिपोर्ट में एक सुरक्षित और गुमनाम व्हिसलब्लोअर प्रणाली की स्थापना, महंगे उपहारों पर प्रतिबंध, सेवानिवृत्ति के बाद दो साल तक नियुक्तियों पर रोक और ‘मुख्य नैतिकता एवं अनुपालन अधिकारी’ (सीईसीओ) का पद सृजित करने का प्रस्ताव भी शामिल है।
सेबी पहले ही म्यूचुअल फंड एवं स्टॉक ब्रोकर नियमों के संबंध में परामर्श पत्र जारी कर चुका है। अक्टूबर में, सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा था, जिसमें टीईआर (योजना के कुल खर्च) की स्पष्टता और ब्रोकरेज शुल्क की संशोधित सीमाएं शामिल हैं।
प्रस्तावित ढांचे के तहत, सेबी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को म्यूचुअल फंड योजनाओं पर अतिरिक्त 0.05 प्रतिशत वसूलने की अनुमति हटाने की योजना बना रहा है। यह अतिरिक्त खर्च तय समय से पहले निकासी पर लगने वाले शुल्क को योजनाओं में वापस क्रेडिट करने के प्रभाव की भरपाई के लिए दिया गया था।
टीईआर सीमा और स्टॉक ब्रोकर विनियमों की समीक्षा
स्पष्टता बढ़ाने के लिए, सेबी ने टीईआर सीमा से सभी वैधानिक करों- एसटीटी (प्रतिभूति लेनदेन कर), जीएसटी, सीटीटी (जिंस लेनदेन कर) और स्टांप शुल्क को बाहर रखने का सुझाव दिया है।
इसके अलावा, निदेशक मंडल 1992 के स्टॉक ब्रोकर विनियमों की समीक्षा के प्रस्ताव पर भी विचार करेगा। इस प्रक्रिया में ‘एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग’ (कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए स्वचालित ट्रेडिंग) को शामिल करने का प्रस्ताव है, क्योंकि मौजूदा ढांचे में इसकी स्पष्टता नहीं है।
