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सोने और चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि: निवेशकों के लिए क्या है आगे?

सोने और चांदी की कीमतें इन दिनों लगातार बढ़ रही हैं, जिससे निवेशकों में चिंता और उत्साह दोनों है। हाल ही में चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल आया है, जबकि सोने की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी जारी रह सकती है, लेकिन मुनाफावसूली के कारण गिरावट भी संभव है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और निवेशकों के लिए क्या रणनीति अपनानी चाहिए।
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सोने और चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि: निवेशकों के लिए क्या है आगे?

सोने और चांदी की कीमतों में लगातार वृद्धि


इन दिनों सोने और चांदी की कीमतें लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। हर दिन इनकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं, जिससे न केवल आम खरीदार बल्कि बड़े निवेशक भी कीमती धातुओं में निवेश करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी अभी थमने वाली नहीं है और भविष्य में सोना और चांदी और महंगे हो सकते हैं।


चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल

कमोडिटी बाजार में चांदी की कीमतों ने शुक्रवार को अभूतपूर्व उछाल दिखाया। MCX पर 5 मार्च के वायदा के लिए एक किलो चांदी का भाव कारोबार बंद होने तक लगभग 17 हजार रुपये बढ़कर 2,40,935 रुपये पर पहुंच गया। दिन के दौरान चांदी की कीमतें और भी बढ़कर 2,42,000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।


सोने और चांदी की कीमतों में वृद्धि के कारण

पिछले एक सप्ताह में सोने और चांदी की कीमतें आम लोगों की पहुंच से काफी दूर हो गई हैं। 19 दिसंबर को 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग 1,34,196 रुपये थी, जो अब लगभग 1.40 लाख रुपये तक पहुंच गई है। इसी तरह, चांदी की कीमत भी 19 दिसंबर को 2.08 लाख रुपये से बढ़कर 2.40 लाख रुपये के आसपास पहुंच गई है।


इस कीमतों में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं, जिसका प्रभाव घरेलू बाजार पर भी पड़ा है। इसके अलावा, गोल्ड और सिल्वर ETF में निवेश में वृद्धि हो रही है, क्योंकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच लोग सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ रहे हैं। डॉलर की कमजोरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों ने भी मांग को बढ़ावा दिया है।


विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय में सोना और चांदी लाभकारी साबित हो सकते हैं, लेकिन अल्पकाल में मुनाफावसूली के कारण गिरावट भी संभव है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सावधानी बरतें और फिजिकल खरीद के बजाय ETF के माध्यम से नियमित अंतराल पर निवेश करें, जिससे जोखिम कम हो और समय के साथ बेहतर रिटर्न मिल सके।