Newzfatafatlogo

सोने की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल: क्या है इसके पीछे का कारण?

सोने की कीमतें वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते 4,480 डॉलर प्रति औंस के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई हैं। भू-राजनीतिक तनाव, विशेषकर वेनेजुएला की स्थिति, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश की ओर आकर्षित किया है। इस वर्ष सोने की कीमतों में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो इसे 1979 के बाद का सबसे बेहतरीन वर्ष बना रही है। चांदी ने भी नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। जानें इस तेजी के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएँ।
 | 
सोने की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल: क्या है इसके पीछे का कारण?

सोने की कीमतों में नया रिकॉर्ड


नई दिल्ली: वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और ब्याज दरों में कमी की उम्मीदों के चलते सोने की कीमतें एक बार फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई हैं। 2025 में सोने ने 50वीं बार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया है। भू-राजनीतिक तनाव, विशेषकर वेनेजुएला की स्थिति और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दर कटौती ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश की ओर आकर्षित किया है, जिससे सोने और चांदी को लाभ हुआ है।


सोने की कीमतें 4,480 डॉलर प्रति औंस के पार

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत पहली बार 4,480 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गई है। इससे पहले, सोने में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी, जो पिछले एक महीने में इसकी सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त मानी जा रही है। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेडर्स इस उम्मीद में दांव लगा रहे हैं कि अमेरिकी फेड अगले वर्ष भी ब्याज दरों में कटौती करेगा। कम ब्याज दरों का माहौल सोने जैसी गैर-ब्याज देने वाली संपत्तियों के लिए अनुकूल होता है।


भू-राजनीतिक तनाव और सुरक्षित निवेश की मांग

पिछले सप्ताह में सोने की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग में वृद्धि हुई है। विशेष रूप से वेनेजुएला में बढ़ते तनाव ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के तेल टैंकरों की नाकेबंदी और राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार पर दबाव डालने से वैश्विक स्तर पर अस्थिरता का माहौल बना है, जिसका सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ा है।


1979 के बाद का सबसे बेहतरीन साल

2025 में अब तक सोने की कीमत लगभग 70 प्रतिशत बढ़ चुकी है और यह 1979 के बाद अपने सबसे बेहतरीन वर्ष की ओर बढ़ रहा है। इस तेजी के पीछे केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीद और गोल्ड आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में लगातार निवेश महत्वपूर्ण कारण रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, मई को छोड़कर इस वर्ष हर महीने गोल्ड ETF में होल्डिंग्स में वृद्धि हुई है।


ट्रंप की नीतियों का प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक व्यापार को नया आकार देने के प्रयास और फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर दिए गए बयान भी इस तेजी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, निवेशकों में 'डिबेसमेंट ट्रेड' का चलन बढ़ा है, जिसमें बढ़ते कर्ज और मुद्राओं के मूल्य में गिरावट के डर से लोग बॉंड और करेंसी से दूरी बनाकर सोने की ओर रुख कर रहे हैं।


भविष्य में और तेजी के संकेत

अक्टूबर में 4,381 डॉलर के स्तर से थोड़ी गिरावट के बाद सोना तेजी से संभला है और अगले वर्ष भी मजबूती बनाए रखने के संकेत दे रहा है। गोल्डमैन सैक्स जैसी प्रमुख निवेश बैंक का अनुमान है कि 2026 में सोने की कीमत 4,900 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है, जिसमें और तेजी की संभावना बनी हुई है।


चांदी ने भी बनाया नया रिकॉर्ड

सोने के साथ-साथ चांदी ने भी नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। चांदी की कीमत 1 प्रतिशत बढ़कर 69.7060 डॉलर पर पहुंच गई है। इस वर्ष चांदी की कीमत लगभग 140 प्रतिशत बढ़ चुकी है। अक्टूबर में हुए ऐतिहासिक शॉर्ट स्क्वीज के बाद सप्लाई की दिक्कतें और सट्टेबाजी निवेश ने इसकी तेजी को और मजबूत किया है। शंघाई में चांदी फ्यूचर्स का ट्रेडिंग वॉल्यूम भी हाल के हफ्तों में तेजी से बढ़ा है।