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स्पाइसजेट को 50,000 रुपये का हर्जाना, 14 घंटे की देरी पर मिली सजा

स्पाइसजेट एयरलाइंस को एक उपभोक्ता आयोग द्वारा 14 घंटे की देरी के लिए 50,000 रुपये का हर्जाना भरने का आदेश दिया गया है। दिनेश हेमराजानी ने अपनी फ्लाइट में लापरवाही का आरोप लगाया, जिसमें उन्हें केवल एक बर्गर और फ्राइज दिए गए। आयोग ने एयरलाइन की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यात्रियों को उचित सुविधाएँ प्रदान करना एयरलाइन की जिम्मेदारी है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और आयोग के निर्णय के पीछे की वजह।
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स्पाइसजेट को 50,000 रुपये का हर्जाना, 14 घंटे की देरी पर मिली सजा

स्पाइसजेट एयरलाइंस की लापरवाही पर कार्रवाई

स्पाइसजेट एयरलाइंस समाचार: यदि आप एयरलाइंस की लापरवाही से परेशान हैं, तो यह खबर आपको प्रेरित कर सकती है। मुंबई के मुलुंड निवासी दिनेश हेमराजानी को स्पाइसजेट द्वारा 14 घंटे की लंबी देरी के दौरान केवल एक बर्गर और फ्राइज पर निर्भर रहना पड़ा। अब, जिला उपभोक्ता आयोग ने स्पाइसजेट को 50,000 रुपये का हर्जाना और 5,000 रुपये कानूनी खर्च के रूप में चुकाने का आदेश दिया है।
 
दिनेश हेमराजानी ने 27 जुलाई 2024 को दुबई से मुंबई के लिए फ्लाइट SG 60 बुक की थी। यह फ्लाइट शाम 4 बजे उड़ान भरने वाली थी, लेकिन यह अगली सुबह 6:10 बजे टेक-ऑफ हुई, यानी 14 घंटे की देरी। हेमराजानी का कहना है कि इस लंबी देरी के दौरान यात्रियों को न तो उचित भोजन दिया गया और न ही ठहरने की व्यवस्था की गई। केवल एक बार बर्गर और फ्राइज दिए गए। इसके अलावा, कोई स्पष्ट जानकारी या अपडेट भी नहीं दिया गया। 


आयोग की टिप्पणी 

उपभोक्ता आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी स्थिति में यात्रियों को पर्याप्त भोजन, पानी और आराम करने की जगह प्रदान करना एयरलाइन की जिम्मेदारी है। यात्रियों को देरी के बारे में समय-समय पर जानकारी देना आवश्यक है। स्पाइसजेट ने केवल CAR (सिविल एविएशन आवश्यकताएँ) और CAA (एयर द्वारा परिवहन अधिनियम) का हवाला दिया, लेकिन यह साबित नहीं कर पाई कि उसने आवश्यक व्यवस्थाएँ की थीं। आयोग ने कहा कि यदि एयरलाइन यह दावा करती है कि उसने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं, तो उसे इसके साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे, जैसे कि फ्लाइट लॉग, यात्रियों को भेजे गए नोटिस और अन्य दस्तावेज। लेकिन इस मामले में एयरलाइन कुछ भी ठोस पेश नहीं कर सकी।


एयरलाइन का बचाव 

स्पाइसजेट ने कहा कि सभी यात्री ई-टिकट की शर्तों के अधीन होते हैं। देरी ऑपरेशनल और तकनीकी कारणों से हुई, जो एयरलाइन के नियंत्रण से बाहर थे। CAR और CAA के नियमों के अनुसार, ऐसी स्थितियों में एयरलाइन जिम्मेदार नहीं होती। लेकिन आयोग ने इन दलीलों को खारिज कर दिया क्योंकि एयरलाइन ने कोई सबूत नहीं दिया कि उसने यात्रियों के लिए उचित व्यवस्था की थी।