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हरियाणा में रेत रॉयल्टी में वृद्धि: निर्माण लागत में भारी इजाफा

हरियाणा में रेत रॉयल्टी में हालिया वृद्धि ने निर्माण लागत को दोगुना कर दिया है, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। सरकार ने खनन नियम 2012 में संशोधन किया है, जिसके तहत रेत और पत्थर की रॉयल्टी दरों में भारी वृद्धि की गई है। इस बदलाव का सीधा असर मध्यम वर्ग और छोटे बिल्डर्स पर पड़ेगा, जिससे घर बनाने का सपना देख रहे लोगों को अधिक खर्च करना पड़ेगा। जानें इस नए नियम का प्रभाव और इसके पीछे की वजहें।
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हरियाणा में रेत रॉयल्टी में वृद्धि: निर्माण लागत में भारी इजाफा

हरियाणा रेत रॉयल्टी में वृद्धि

हरियाणा रेत रॉयल्टी में वृद्धि: घर बनाने की लागत में दोगुना इजाफा: हाल ही में हरियाणा में रेत रॉयल्टी में हुई वृद्धि ने आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल दिया है।


हरियाणा सरकार ने खनन नियम 2012 में संशोधन को मंजूरी दी है, जिसके तहत रेत और पत्थर की रॉयल्टी दरों में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। इस निर्णय से निर्माण की लागत में वृद्धि होना तय है। निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी से आम लोग और बिल्डर्स दोनों प्रभावित होंगे। आइए जानते हैं इस नए नियम का प्रभाव और इसके पीछे की वजहें।


रेत और पत्थर की रॉयल्टी में वृद्धि

रेत और पत्थर की रॉयल्टी में वृद्धि: हरियाणा सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा लघु खनिज रियायत, भंडारण, खनिजों का परिवहन और अवैध खनन रोकथाम नियम 2012 में संशोधन को स्वीकृति दी। इसके तहत पत्थर की रॉयल्टी को 45 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति टन और रेत की रॉयल्टी को 40 रुपये से बढ़ाकर 80 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।


यह वृद्धि निर्माण सामग्री की लागत को सीधे प्रभावित करेगी। खदान मालिकों को अब सरकार को अधिक रॉयल्टी का भुगतान करना होगा, जिसका बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इससे घर, दुकान या अन्य निर्माण कार्य महंगे हो जाएंगे।


अंतर-राज्यीय परिवहन शुल्क का नया नियम

अंतर-राज्यीय परिवहन शुल्क का नया नियम: नए नियमों में अंतर-राज्यीय खनिज परिवहन पर भी शुल्क लागू किया गया है। पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल जैसे राज्यों से हरियाणा में आने वाले खनिज वाहनों पर 100 रुपये प्रति टन का शुल्क लगेगा। यदि ई-ट्रांजिट का गंतव्य हरियाणा के भीतर है, तो भी 100 रुपये प्रति टन शुल्क देना होगा।


वहीं, अगर गंतव्य हरियाणा के बाहर है, तो 20 रुपये प्रति टन शुल्क लागू होगा। इस नए परिवहन शुल्क से रेत और बजरी की लागत और बढ़ेगी। यह नियम अवैध खनन को रोकने के लिए लाया गया है, लेकिन इसका असर आम लोगों पर भी पड़ेगा।


निर्माण लागत पर असर, आम जनता पर बोझ

निर्माण लागत पर असर: रेत और पत्थर की रॉयल्टी में वृद्धि से निर्माण कार्यों की लागत में भारी इजाफा होगा। घर बनाने का सपना देख रहे लोगों को अब अधिक खर्च करना पड़ेगा। बिल्डर्स और ठेकेदार भी बढ़ी हुई कीमतों का बोझ ग्राहकों पर डाल सकते हैं।


सरकार का यह कदम अवैध खनन को रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए है, लेकिन इसका सीधा असर मध्यम वर्ग और छोटे बिल्डर्स पर पड़ेगा। लोगों को अब अपने बजट की पुनर्रचना करनी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव निर्माण उद्योग में लागत को 10-15% तक बढ़ा सकता है।


हरियाणा रेत रॉयल्टी में यह वृद्धि आम लोगों के लिए नई चुनौती लाई है। सरकार को चाहिए कि वह इस वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार करे। फिलहाल, लोगों को अपने निर्माण कार्यों के लिए अधिक बजट तैयार रखना होगा।