अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती: उनके ऐतिहासिक सुधारों की चर्चा
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती
नई दिल्ली: आज, 25 दिसंबर 2025, भारत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती मना रहा है। वाजपेयी पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना पूरा कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके नेतृत्व ने न केवल राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा दिया, बल्कि उन्होंने आधुनिक भारत के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार भी लागू किए। ठंड की सुबह में, सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर उनके योगदान पर चर्चा जारी है।
1999 से 2004 के बीच उनके द्वारा लिए गए निर्णयों ने शिक्षा, कर प्रणाली, दूरसंचार, उड्डयन और ऊर्जा क्षेत्रों में ऐसे परिवर्तन किए हैं, जिनका प्रभाव आज भी महसूस किया जा रहा है। उनके कार्यकाल में सुधारों का मुख्य ध्यान आम नागरिकों, बुनियादी ढांचे और आर्थिक मजबूती पर था। यही कारण है कि उन्हें सुशासन का प्रतीक माना जाता है। यहां 10 महत्वपूर्ण सुधारों का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने भारत को नई दिशा दी।
सर्व शिक्षा अभियान
अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 2000 में शुरू किया गया सर्व शिक्षा अभियान ने देश में प्राथमिक शिक्षा में क्रांति की शुरुआत की। यह कार्यक्रम छह से चौदह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य लेकर आया, जिसका उद्देश्य लगभग 2 करोड़ बच्चों को लाभ पहुंचाना था। चार वर्षों के भीतर, स्कूल छोड़ने की दर में 60 प्रतिशत की कमी आई, जिसने बाद में शिक्षा सुधारों की नींव रखी।
कर सुधार
विजय केलकर की अध्यक्षता में गठित कार्य बल ने 2002 में भारत के कर सुधारों की दिशा तय की। इसने पैन (PAN) के उपयोग को बढ़ावा दिया, कर प्रशासन में सुधार किया और करदाताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान कीं। इसके सुझावों ने जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संहिता जैसे सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली
2004 में वाजपेयी सरकार ने नए केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की शुरुआत की, जिससे निश्चित लाभ वाली पेंशन प्रणाली को अंशदायी योजना में बदला गया। 2009 में निजी क्षेत्र के लिए खोले गए एनपीएस का उद्देश्य दीर्घकालिक पेंशन देनदारियों को कम करना है। इसके लाभ 2040 के दशक से मिलने की उम्मीद है।
दूरसंचार क्रांति
वाजपेयी सरकार के तहत 1999 की नई दूरसंचार नीति ने भारत के दूरसंचार क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाए। 1990 के दशक के अंत में मोबाइल फोन का उपयोग बहुत कम था, लेकिन अब भारत डेटा खपत में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन गया है। इस नीति ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया और कनेक्टिविटी में सुधार किया।
नागरिक उड्डयन
वाजपेयी सरकार ने हवाईअड्डों के विकास में निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया, जो उनके कार्यकाल में शुरू हुआ और 2006 में लागू किया गया। इस नीति ने प्रमुख हवाईअड्डों को विश्वस्तरीय सुविधाओं में बदल दिया।
बिजली
वाजपेयी सरकार ने 2003 में ऐतिहासिक विद्युत अधिनियम पेश किया, जिसने विद्युत क्षेत्र का पुनर्गठन किया। इस सुधार ने क्षेत्र को निजी भागीदारी और प्रतिस्पर्धा के लिए खोला।
ऊर्जा प्रोत्साहन
वाजपेयी के कार्यकाल में भारत ने पहली बार विदेशी तेल और गैस संपत्तियों में निवेश किया। इसके तहत रूस के सखालिन क्षेत्र में 1.7 अरब डॉलर का निवेश किया गया।
