आंध्र यूनिवर्सिटी ने NIRF रैंकिंग में चौथा स्थान हासिल किया

आंध्र यूनिवर्सिटी की नई पहचान
आंध्र प्रदेश का प्रतिष्ठित आंध्र यूनिवर्सिटी (AU) अब अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। हाल ही में जारी NIRF रैंकिंग में इस विश्वविद्यालय ने राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में चौथा स्थान प्राप्त किया है। यह बदलाव विश्वविद्यालय के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो पहले कई विवादों में घिरा हुआ था।पिछले पांच वर्षों में, विश्वविद्यालय की छवि कई कारणों से प्रभावित हुई थी। वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान, कैंपस में अकादमिक गतिविधियों की तुलना में राजनीतिक सभाओं का आयोजन अधिक होता था। छात्रों की पढ़ाई के लिए कक्षाएं रद्द कर दी जाती थीं, खासकर जब पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का स्वागत किया जाता था। उस समय के कुलपति पीवीजीडी प्रसाद रेड्डी पर फंड के दुरुपयोग और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे थे।
छात्रों ने विश्वविद्यालय में अकादमिक गुणवत्ता में गिरावट के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी, क्योंकि इसका सीधा असर उनके भविष्य पर पड़ रहा था।
अब, एनडीए सरकार के आने के बाद, स्थिति में सुधार हो रहा है। विश्वविद्यालय में अब राजनीतिक कार्यक्रमों की जगह शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार खाली शिक्षकों के पदों को भरने पर भी जोर दे रही है।
इस क्रम में, आंध्र यूनिवर्सिटी ने हाल ही में 'क्वांटम कंप्यूटिंग' में बी.टेक प्रोग्राम की शुरुआत की है, जिसमें 30 छात्रों को शामिल किया गया है। यह भविष्य की तकनीक के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
मानव संसाधन विकास मंत्री नारा लोकेश ने आंध्र यूनिवर्सिटी की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय ने 2024 में सातवें से चौथे स्थान पर छलांग लगाई है। उन्होंने यह भी बताया कि AU अब राज्य का नंबर 1 सरकारी विश्वविद्यालय बनने की दिशा में अग्रसर है।