एनसीईआरटी में कर्मचारियों की कमी: 57% पद खाली
शिक्षा व्यवस्था में गंभीर कमी
भारत की शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने वाली प्रमुख संस्था, नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT), में कर्मचारियों की भारी कमी का सामना कर रही है। हाल ही में संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, एनसीईआरटी और इसके संबंधित संस्थानों में कुल 2844 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से केवल 1219 पद भरे गए हैं। इसका मतलब है कि 1625 पद, जो कुल का 57 प्रतिशत है, खाली हैं।
शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट
यह जानकारी पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस सांसद समिरुल इस्लाम के प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्रालय द्वारा साझा की गई। यह कमी केवल मुख्य एनसीईआरटी में नहीं है, बल्कि इसके क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों (आरआईई) और अन्य संबंधित विभागों में भी देखी जा रही है। विशेष रूप से गैर-शैक्षणिक पदों में स्थिति चिंताजनक है, जहां ग्रुप सी के हर चार में से तीन पद खाली हैं।
भर्ती की स्थिति
ग्रुप बी में भी स्थिति समान है, जबकि ग्रुप ए में कमी थोड़ी कम है। आश्चर्यजनक रूप से, 2020-21 और 2021-22 में एनसीईआरटी ने कोई स्थायी भर्ती नहीं की। इन दो वर्षों में खाली पदों की संख्या जस की तस बनी रही। पिछले पांच वर्षों में केवल 229 शैक्षणिक और 216 गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती हुई है। 2022-23 में तो केवल एक गैर-शैक्षणिक कर्मचारी की नियुक्ति हुई।
ठेके पर निर्भरता
एनसीईआरटी अब कामकाज के लिए ठेके पर कर्मचारियों पर निर्भर हो गया है। 2022-23 में 760 ठेका कर्मचारी थे, जबकि 2024-25 में यह संख्या घटकर लगभग 655 रह गई है। संसद की शिक्षा संबंधी स्थायी समिति ने पहले ही चेतावनी दी थी कि लंबे समय तक ठेका कर्मचारियों पर निर्भर रहना उचित नहीं है। इसी तरह की समस्या नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में भी देखी जा रही है।
भर्ती प्रक्रिया पर ध्यान
शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने संसद में बताया कि भर्ती एक निरंतर प्रक्रिया है और नियमों के अनुसार खाली पदों को भरने का प्रयास किया जा रहा है। यह कमी शिक्षा के क्षेत्र में चिंता का विषय है, क्योंकि एनसीईआरटी किताबें बनाने, शिक्षक प्रशिक्षण और अनुसंधान का महत्वपूर्ण कार्य करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में खाली पदों से कार्य की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। सरकार को स्थायी भर्तियों की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे।
