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गुरुग्राम के जुड़वां भाइयों ने JEE Main 2024 में किया कमाल

गुरुग्राम के जुड़वां भाइयों आरव और आरुष भट्ट ने JEE Main 2024 में अद्वितीय सफलता हासिल की है। आरव ने 100 पर्सेंटाइल के साथ ऑल इंडिया रैंक 3 प्राप्त की, जबकि आरुष ने 99.65 पर्सेंटाइल के साथ शीर्ष 25 में जगह बनाई। उनकी सफलता का श्रेय उनकी मां के समर्थन और कठिन परिश्रम को जाता है। जानें कैसे उन्होंने 9वीं कक्षा से ही तैयारी शुरू की और अपने लक्ष्य को हासिल किया।
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गुरुग्राम के जुड़वां भाइयों ने JEE Main 2024 में किया कमाल

गुरुग्राम के जुड़वां भाइयों की सफलता की कहानी

JEE Main 2024 के परिणामों ने देशभर में हलचल पैदा कर दी, लेकिन सबसे दिलचस्प कहानी गुरुग्राम के जुड़वां भाइयों, आरव और आरुष भट्ट की है। दोनों ने न केवल एक साथ परीक्षा दी, बल्कि उत्कृष्ट अंक भी प्राप्त किए। आरव ने 100 पर्सेंटाइल के साथ ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल की, जबकि आरुष ने 99.65 पर्सेंटाइल के साथ देश के शीर्ष 25 स्कोरर्स में अपनी जगह बनाई।


मां का योगदान

जब अप्रैल 2024 में JEE Main के परिणाम घोषित हुए, तो इन दोनों भाइयों पर सभी की नजरें थीं। उन्होंने न केवल एक साथ परीक्षा दी, बल्कि साथ में सफलता भी प्राप्त की। आरव ने 100 पर्सेंटाइल प्राप्त किया, जबकि आरुष ने 99.65 पर्सेंटाइल हासिल किया। दोनों का जन्म एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ, जहां शिक्षा का माहौल हमेशा से था। उनके पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और मां मैथ्स में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उनकी मां ने बच्चों की पढ़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खुद उनके लिए मैथ्स की टीचर बन गईं और घर पर ही उन्हें पढ़ाना शुरू किया।


9वीं कक्षा से तैयारी की शुरुआत

आरव और आरुष ने 9वीं कक्षा से ही JEE की तैयारी शुरू कर दी थी, जब देश में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगा हुआ था। उस समय कई छात्र ऑनलाइन क्लास और मानसिक तनाव से जूझ रहे थे, लेकिन इन दोनों ने ठान लिया कि वे JEE में सफल होंगे। उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बना ली और पूरी तरह से पढ़ाई में जुट गए। NCERT की किताबों को बार-बार पढ़ा और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल किए। उनकी यह रणनीति धीरे-धीरे उनकी सफलता की नींव बन गई।


मेहनत का फल

पढ़ाई का यह सफर आसान नहीं था। दोनों भाई रोज स्कूल जाते, फिर कोचिंग क्लास में भाग लेते और रात 8 बजे घर लौटते थे। इसके बाद खाना खाने के बाद वे फिर से पढ़ाई में जुट जाते थे और कई बार रात 1 बजे तक पढ़ते रहते थे। इस संघर्ष में उनकी मां की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। वह हर सुबह 4 बजे उठकर उनके लिए खाना बनाती थीं, उन्हें स्कूल भेजती थीं और उनके समय का ध्यान रखती थीं। इस समर्पण का परिणाम यह रहा कि आरव ने JEE Main में ऑल इंडिया तीसरी रैंक प्राप्त की और आरुष देश के शीर्ष 25 स्कोरर्स में शामिल हुए। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि समर्पण, परिवार का सहयोग और निरंतर मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।