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चंडीगढ़ दिव्यांग शिक्षा नीति 2025: हर बच्चे को मिलेगा समान शिक्षा का अधिकार

चंडीगढ़ ने दिव्यांग बच्चों के लिए एक नई शिक्षा नीति 2025 की शुरुआत की है, जो उन्हें 18 वर्ष की उम्र तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगी। इस नीति का उद्देश्य सभी बच्चों को समान अवसर देना है, चाहे वे किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हों। इसमें विशेष शिक्षकों की नियुक्ति, ब्रेल किताबों की उपलब्धता और कौशल प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं शामिल हैं। यह नीति शिक्षा क्षेत्र में समावेशिता और समानता की नई मिसाल स्थापित करेगी।
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चंडीगढ़ दिव्यांग शिक्षा नीति 2025: हर बच्चे को मिलेगा समान शिक्षा का अधिकार

चंडीगढ़ दिव्यांग शिक्षा नीति 2025: हर दिव्यांग बच्चे को मिलेगा शिक्षा का अधिकार

चंडीगढ़ दिव्यांग शिक्षा नीति 2025: चंडीगढ़ में दिव्यांग बच्चों के लिए नई शिक्षा नीति का शुभारंभ किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी बच्चों को समान अवसर मिले, चाहे वे किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हों।


UT प्रशासन ने इस नीति के तहत दिव्यांग बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया है। यह कदम समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है और भविष्य के लिए आशा का संचार करता है।


UT के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब राज भवन से इस नीति का उद्घाटन किया। यह नीति RPwD एक्ट 2016 पर आधारित है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी दिव्यांग बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।


सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 18 वर्ष की आयु तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।


जो बच्चे स्कूल नहीं जा सकते, उनके लिए होम-बेस्ड शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी।


बच्चों को परिवहन भत्ता और अन्य सहायता सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी।


हर कदम होगा भेदभाव रहित


नई नीति के अनुसार, प्रवेश प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और समावेशी बनाया गया है।


RTE एक्ट के तहत EWS/वंचित वर्ग के 25% कोटे में 3% आरक्षण दिव्यांग बच्चों के लिए निर्धारित किया गया है।


सभी निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों को भी इस नीति के तहत दिव्यांग बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य होगा।


UT शिक्षा निदेशक हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़ का कहना है, “दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं है, सही माहौल और अवसर मिलने पर ये बच्चे अद्भुत कार्य कर सकते हैं।”


स्पेशल टीचर्स, ब्रेल बुक्स और साइन लैंग्वेज से सजी होंगी कक्षाएं


इस नीति के तहत शिक्षा प्रणाली को दिव्यांग बच्चों के अनुकूल बनाया जाएगा।


प्रशिक्षित विशेष शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य होगी।


ब्रेल किताबें, बड़े प्रिंट सामग्री, और साइन लैंग्वेज संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।


पाठ्यक्रम को दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाएगा।


परीक्षा के लिए विशेष मूल्यांकन प्रणाली विकसित की जाएगी।


स्किल ट्रेनिंग और निगरानी समितियां भी होंगी एक्टिव


दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने विशेष योजनाएं बनाई हैं।


कक्षा 9 से ही व्यावसायिक और कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।


हर स्कूल में शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाएगा।


राज्य स्तर पर एक निगरानी समिति भी कार्य करेगी।


शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे।


चंडीगढ़ दिव्यांग शिक्षा नीति 2025 ने शिक्षा को हर बच्चे के लिए सुलभ और समान बनाने का वादा किया है। अब दिव्यांग बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक मुफ्त शिक्षा, विशेष शिक्षकों, ब्रेल किताबें और कौशल प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं मिलेंगी।


इस नीति से शिक्षा क्षेत्र में समावेशिता और समानता की नई मिसाल कायम होगी।