ज्ञान का महत्व: विनम्रता से बांटें, घमंड न करें

ज्ञान का सही उपयोग
चंडीगढ़ समाचार: ज्ञान, जिसे हम शिक्षा के रूप में जानते हैं, एक अनमोल संपत्ति है जो हमें अपने लक्ष्यों को हासिल करने और दुनिया को समझने में सहायता करती है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ज्ञान केवल एक साधन है, न कि अंतिम लक्ष्य। इसका उपयोग हमें अपने जीवन को सुधारने और दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करना चाहिए।
जब हम अपने ज्ञान पर गर्व करते हैं, तो हम दूसरों को कमतर समझने लगते हैं, जिससे हमारी सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। यह न केवल हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए हानिकारक है, बल्कि हमारे संबंधों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ये विचार मनीषीसंतश्रीमुनिविनयकुमार जी आलोक ने सैक्टर-24 सी अणुव्रत भवन तुलसी सभागार में एक सभा के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि एक सच्चा ज्ञानी वह होता है जो हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहता है और अपने ज्ञान को साझा करने में खुशी महसूस करता है। विनम्रता और दूसरों के अनुभवों का सम्मान करना भी आवश्यक है। इसलिए, हमें अपने ज्ञान पर गर्व करने के बजाय, इसे दूसरों की सहायता के लिए उपयोग करना चाहिए।
मनीषीसंत ने चेतावनी दी कि किसी को भी अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए। उन्होंने एक पंडित की कहानी सुनाई, जो अपने ज्ञान के घमंड में नाविक को नीचा दिखा रहा था। जब नाव में तेज लहरें उठीं, तो पंडित को अपनी स्थिति का एहसास हुआ।
उन्होंने कहा कि मान और प्रतिष्ठा का घमंड कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह हमारे पिछले जन्म के कर्मों और वर्तमान स्थिति पर निर्भर करता है। जब तक आप उच्च पद पर हैं, लोग आपको सम्मान देते हैं, लेकिन जब वह पद चला जाता है, तो आपकी प्रतिष्ठा भी घट जाती है।
अंत में, मनीषीसंत ने कहा कि ज्ञान हमेशा विनम्रता के साथ आता है। इसलिए, हमें अपने ज्ञान पर गर्व नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से ज्ञान स्थायी नहीं रहता।