महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा बनाना: राज ठाकरे का विरोध

हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का आदेश
राज ठाकरे: महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है। इस निर्णय पर राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया है कि वे मराठी लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं। वहीं, राज ठाकरे ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह सरकार की एक चाल है, जिसमें हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाएगा, बल्कि जो छात्र इसे पढ़ना चाहेंगे, उनके लिए पाठ्यक्रम उपलब्ध रहेगा। इसके साथ ही स्कूलों को इस निर्णय के खिलाफ खड़े होने के लिए कहा गया है।
राज ठाकरे का विरोध
मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा जारी संशोधित आदेश में कहा गया कि हिंदी को अनिवार्य रूप से नहीं, बल्कि सामान्य रूप से तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। यदि किसी कक्षा में 20 छात्र हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो उन्हें विकल्प दिया जाएगा।
सरकार की रणनीति में बदलाव
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग में नया ड्रामा शुरू हो गया है। पहले यह कहा गया था कि पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाई जाएंगी: मराठी, अंग्रेजी और हिंदी। जब इस पर विरोध हुआ, तो सरकार ने अपनी रणनीति बदल दी और कहा कि हिंदी अब अनिवार्य नहीं होगी।
हिंदी भाषा पर सवाल
राज ठाकरे ने हिंदी को थोपने के प्रयास पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय भाषा नहीं है, बल्कि कुछ उत्तर भारतीय राज्यों में बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाएं अब हिंदी के दबाव के कारण विलुप्त होने के कगार पर हैं।
लिखित आदेश की मांग
ठाकरे ने कहा कि अगर सरकार इस तरह से कोई भाषा थोपने की कोशिश करती है, तो वे इसका विरोध करेंगे। उन्होंने पूछा कि क्या इस संबंध में कोई लिखित आदेश जारी किया गया है।
बच्चों पर बोझ डालने का विरोध
राज ठाकरे ने कहा कि बच्चों को एक क्षेत्रीय और एक वैश्विक भाषा सिखाना काफी है। उन्होंने सवाल किया कि इतनी सारी भाषाएं थोपने की क्या आवश्यकता है। बच्चों को जब बड़े होने पर अपनी जरूरत के अनुसार भाषाएं सीखने का अवसर मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर स्कूल इस मामले में सख्ती बरतते हैं, तो वे सरकार के साथ खड़े रहेंगे। ठाकरे ने सरकार से लिखित आश्वासन मांगा है कि हिंदी या कोई तीसरी भाषा अनिवार्य नहीं होगी।