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यूजीसी का नया नियम: छात्रों को मिलेगा पूरा फीस रिफंड

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों के लिए एक नई नीति की घोषणा की है, जिसके तहत यदि कोई छात्र दाखिला लेने के बाद अपने कॉलेज या पाठ्यक्रम को बदलता है, तो उसे पूरी फीस वापस मिलेगी। यह व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होगी। यूजीसी का उद्देश्य छात्रों को बिना आर्थिक बोझ के अपनी पसंद का संस्थान चुनने की स्वतंत्रता देना है। इस नई नीति के तहत, दाखिला रद्द करने की समय सीमा भी निर्धारित की गई है, जिससे छात्रों को बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।
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यूजीसी का नया नियम: छात्रों को मिलेगा पूरा फीस रिफंड

छात्रों के लिए राहत भरा फैसला


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब, यदि कोई छात्र दाखिला लेने के बाद अपने कॉलेज या पाठ्यक्रम को बदलना चाहता है, तो उसे उसकी पूरी फीस वापस मिलेगी। यह नई नीति शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू होगी। यूजीसी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र बिना किसी वित्तीय दबाव के अपनी पसंद के संस्थान का चयन कर सकें।


फीस वापसी की नई व्यवस्था

अधिकतर कॉलेजों में दाखिला रद्द करने पर केवल 10-20 प्रतिशत फीस लौटाई जाती थी, जबकि कई स्थानों पर पूरी फीस जब्त कर ली जाती थी। इससे छात्रों को मजबूरन वही पाठ्यक्रम करना पड़ता था, भले ही उन्हें बेहतर अवसर मिल रहे हों। अब यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि दाखिला रद्द करने की तिथि तक जमा की गई पूरी फीस वापस की जाएगी, केवल प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में अधिकतम 1,000 रुपये काटे जा सकते हैं।


दाखिला रद्द करने की समय सीमा

यूजीसी ने दाखिला रद्द करने के लिए समय सीमा भी निर्धारित की है। यदि कोई छात्र कोर्स शुरू होने से 15 दिन पहले दाखिला रद्द करता है, तो उसे 100% फीस वापस मिलेगी। कोर्स शुरू होने के 15 दिन बाद तक रद्द करने पर भी 100% फीस लौटाई जाएगी (प्रोसेसिंग चार्ज कटने के बाद)। यदि कोई छात्र कोर्स शुरू होने के 30 दिन बाद दाखिला रद्द करता है, तो उसे 50% फीस वापस मिलेगी। 30 दिन बाद रद्द करने पर कोई फीस नहीं लौटेगी। यह नियम सभी सरकारी, निजी, और डीम्ड विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर लागू होगा। ऑनलाइन पाठ्यक्रम और डिस्टेंस एजुकेशन में भी यही नीति लागू होगी।


इस फैसले का कारण

यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा, 'हर साल लाखों छात्र काउंसलिंग के दौरान सीट आवंटन में उलझ जाते हैं। कई बार जब उन्हें बेहतर कॉलेज या पाठ्यक्रम मिलता है, तो वे पिछले दाखिले को छोड़ना चाहते हैं, लेकिन फीस जब्त होने के डर से ऐसा नहीं कर पाते। इस नई नीति से छात्रों को स्वतंत्रता मिलेगी।' इसके अलावा, सभी संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर फीस रिफंड नीति को स्पष्ट रूप से बताना होगा। दाखिला फॉर्म में रिफंड की समय सीमा को भी स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा।