राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: मौलाना अबुल कलाम आजाद की शिक्षा के प्रति दृष्टि
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व
नई दिल्ली: हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है, जो मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान को समर्पित है। उन्हें भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में जाना जाता है। 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनके जन्मदिन को इस दिन के रूप में मनाने की घोषणा की। यह दिन शिक्षा के महत्व को उजागर करने और बच्चों में सीखने की प्रेरणा बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का जीवन
मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 1888 में मक्का में हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ अल-हिलाल और अल-बगाह जैसी पत्रिकाएं शुरू कीं। उन्होंने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए और आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया। उनका मानना था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, जबकि उच्च शिक्षा के लिए अंग्रेजी का उपयोग लाभकारी है। उनके विचार आज भी शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास
मौलाना अबुल कलाम आजाद के सम्मान में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 सितंबर 2008 को 11 नवंबर को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की। मंत्रालय ने उनके योगदान को याद करते हुए इस दिन को मनाने का निर्णय लिया। 2008 से, यह दिन हर साल बिना अवकाश के राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद की शिक्षाएं
अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन, जिन्हें मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जाना जाता है, ने 1912 में ब्रिटिश नीतियों की आलोचना के लिए अल-हिलाल नामक उर्दू साप्ताहिक पत्रिका की शुरुआत की। जब इस पर प्रतिबंध लगा, तो उन्होंने अल-बगाह नामक दूसरी पत्रिका शुरू की। उन्होंने महिला शिक्षा की वकालत की और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा तब तक प्रभावी नहीं हो सकती जब तक कि यह महिलाओं की उन्नति पर ध्यान न दे।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का उत्सव
हर साल, राष्ट्रीय शिक्षा दिवस स्कूलों में शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। यह सेमिनार, गतिविधियों, परियोजनाओं और निबंध लेखन के माध्यम से किया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद के प्रेरणादायक उद्धरण
- हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उसे बुनियादी शिक्षा मिले, जिसके बिना वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकता।
- जो व्यक्ति संगीत से प्रभावित नहीं होता, वह मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है; वह आध्यात्मिकता से दूर होता है।
- विज्ञान तटस्थ है और इसके उपयोग का उद्देश्य उपयोगकर्ता की मानसिकता पर निर्भर करता है।
- शिक्षाविदों को छात्रों में जिज्ञासा और नैतिक नेतृत्व की भावना का निर्माण करना चाहिए।
