शालिनी अग्निहोत्री: संघर्ष से सफलता की ओर एक प्रेरणादायक यात्रा
शालिनी अग्निहोत्री की प्रेरणादायक कहानी
नई दिल्ली: कभी-कभी जीवन में सबसे बड़ा परिवर्तन कठिनाइयों से उत्पन्न होता है। शालिनी अग्निहोत्री की कहानी भी इसी तरह की है। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाली शालिनी ने कभी भी अपने सपनों को हालातों के आगे नहीं झुकने दिया। कंडक्टर के परिवार में पली-बढ़ी शालिनी ने चुनौतियों को अपनी ताकत में बदला और ठान लिया कि वह एक दिन अधिकारी बनकर अन्याय के खिलाफ मजबूती से खड़ी होंगी। उनके सफर में समाज की नकारात्मक सोच, आर्थिक बाधाएं और सीमित संसाधन लगातार उनके सामने दीवार बनकर खड़े रहे।
फिर भी, शालिनी ने इन कठिनाइयों को अपने रास्ते में रुकावट नहीं बनने दिया। बिना कोचिंग और विशेष साधनों के, केवल मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने UPSC की दिशा में कदम बढ़ाया। उनकी यह प्रेरणादायक कहानी आज भी युवाओं को यह संदेश देती है कि अगर इच्छा शक्ति हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है।
धर्मशाला में शिक्षा और 10वीं में उत्कृष्टता
ऊना जिले की शालिनी की प्रारंभिक शिक्षा धर्मशाला में हुई। पढ़ाई में उनका प्रदर्शन हमेशा शानदार रहा। उन्होंने 10वीं में 92 प्रतिशत और 12वीं में 77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, पढ़ाई के प्रति उनका समर्पण कभी कम नहीं हुआ। उनके परिवार ने भी उन्हें पूरा समर्थन दिया, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ा।
एग्रीकल्चर में डिग्री और UPSC की ओर कदम
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, शालिनी ने हिमाचल विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने MSc में दाखिला लिया। इसी दौरान, उन्होंने सिविल सेवा की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया। हालांकि, अधिकारी बनने का सपना उन्होंने पहले ही देख लिया था, लेकिन अब उन्होंने इसे गंभीरता से आगे बढ़ाना शुरू किया।
एक घटना जिसने जीवन को बदल दिया
एक यात्रा के दौरान उनकी मां के साथ हुई बदतमीजी ने शालिनी को गहराई से प्रभावित किया। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया और उन्हें भीतर से मजबूत बना दिया। उन्होंने उसी दिन तय कर लिया कि उन्हें इतना सक्षम बनना है कि किसी भी अन्याय का सामना कर सकें। यही क्षण उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ बन गया।
बिना कोचिंग UPSC में सफलता
जहां अधिकांश छात्र UPSC की तैयारी में कोचिंग पर निर्भर रहते हैं, वहीं शालिनी ने पूरी तरह से आत्म-अध्ययन को चुना। ऑनलाइन अध्ययन सामग्री और अपनी रणनीति के बल पर, उन्होंने 2011 में UPSC CSE में 285वीं रैंक हासिल की। उनका चयन IPS के लिए हुआ और परिवार का सपना साकार हुआ। उनकी यह उपलब्धि उन छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जिनके पास सीमित संसाधन हैं।
एक बार फिर परीक्षा पास कर साबित किया अपना सामर्थ्य
IPS बनने के बाद, शालिनी ने अगले वर्ष 2012 में फिर से UPSC पास कर अपनी क्षमता साबित की। आज वह मेहनत, अनुशासन और सकारात्मक सोच की मिसाल हैं। उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि मजबूत इरादे, दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के साथ कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
