शिक्षक दिवस 2025: डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षण यात्रा

शिक्षक दिवस का महत्व
शिक्षक दिवस 2025: भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर नहीं है, बल्कि उस महान व्यक्तित्व को याद करने का भी है, जिन्होंने यह साबित किया कि एक शिक्षक केवल ज्ञान नहीं देता, बल्कि पूरे राष्ट्र की दिशा को भी निर्धारित करता है। यह महान विभूति हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक शिक्षक, दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे।
डॉ. राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक साधारण परिवार में हुआ। वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे। उन्होंने दर्शनशास्त्र को अपने अध्ययन का विषय चुना और मद्रास, मैसूर और कलकत्ता विश्वविद्यालयों में पढ़ाया। उनका शिक्षण केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने छात्रों को जीवन जीने की कला और सही दिशा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया।
शिक्षा का उद्देश्य
राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण और समाज की भलाई करना भी है। उन्होंने भारतीय दर्शन को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया और विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर गर्व करना सिखाया। उनकी शिक्षण शैली सरल भाषा और व्यावहारिक दृष्टिकोण से भरी हुई थी, जो हर छात्र के दिल को छू जाती थी।
राजनीति में योगदान
शिक्षक होने के साथ-साथ राधाकृष्णन ने राजनीति और कूटनीति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे और बाद में भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति बने। लेकिन चाहे वे किसी भी पद पर रहे, उन्होंने हमेशा शिक्षक की सादगी और मूल्यों को बनाए रखा।
शिक्षक दिवस की स्थापना
1962 में जब वे राष्ट्रपति बने, तो उनके शिष्यों और मित्रों ने उनसे जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया। इस पर उन्होंने कहा, 'यदि आप सच में मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हैं, तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाइए।' तभी से हर साल 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।