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शिक्षा मंत्रालय का सर्वे: बच्चों की पढ़ाई में गंभीर चिंताएं

शिक्षा मंत्रालय के हालिया सर्वेक्षण ने बच्चों की पढ़ाई की स्थिति को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 47% बच्चे 10 तक का पहाड़ा नहीं जानते हैं, और छठी कक्षा के छात्रों में गणित की बुनियादी समझ की कमी है। सरकारी स्कूलों के छात्रों का प्रदर्शन सबसे कमजोर पाया गया है। शिक्षा सचिव ने कहा है कि अब केवल सर्वेक्षण से काम नहीं चलेगा, बल्कि ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह सर्वे हर तीन साल में होता है और 2024 के सर्वे में कुछ राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
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शिक्षा मंत्रालय का सर्वे: बच्चों की पढ़ाई में गंभीर चिंताएं

बच्चों की पढ़ाई पर चिंता

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वे ने बच्चों की शैक्षणिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 47% बच्चे 10 तक का पहाड़ा नहीं जानते हैं। इसके अलावा, तीसरी कक्षा के केवल 55% बच्चे 99 तक की संख्याओं को सही क्रम में नहीं लगा पाते हैं। यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सर्वे देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 74,000 स्कूलों में किया गया है।


बुनियादी शिक्षा की कमी

इस सर्वे में तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के 21 लाख से अधिक छात्रों को शामिल किया गया। रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि बुनियादी शिक्षा जैसे जोड़, घटाव और पहाड़ा जैसी चीजें बच्चों को ठीक से नहीं आतीं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आगे की पढ़ाई कैसे मजबूत होगी।


गणित में छात्रों का प्रदर्शन

छठी कक्षा के छात्रों की स्थिति और भी चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 53% छात्र ही बुनियादी गणित जैसे जोड़, घटाव, गुणा और भाग को समझ पा रहे हैं। जब उनसे रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए कहा गया, तो आधे से अधिक बच्चे सही उत्तर नहीं दे सके। इसके अलावा, 'The World Around Us' जैसे विषय में भी छात्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा।


सरकारी स्कूलों की स्थिति

सर्वे में यह भी सामने आया कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्र विशेष रूप से गणित में सबसे पीछे रहे। जबकि केंद्र सरकार के स्कूलों ने नौवीं कक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया। निजी स्कूलों के छात्रों ने भाषा और सामाजिक विज्ञान में अच्छा स्कोर किया, लेकिन गणित वहां भी कमजोर विषय बना रहा।


सख्त कार्रवाई की आवश्यकता

शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि अब केवल सर्वेक्षण करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि वास्तविक कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए जिला और राज्य स्तर पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें हर जिले के लिए अलग योजना बनाई जाएगी।


सर्वे की आवृत्ति

इस सर्वे का नाम पहले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) था, जिसे अब 'परख' कहा जाता है। यह हर तीन साल में आयोजित होता है और इसका उद्देश्य बच्चों की पढ़ाई के स्तर का मूल्यांकन करना है। 2024 का सर्वे बताता है कि कुछ राज्यों ने पिछले सर्वे की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, जैसे पंजाब, हिमाचल, केरल और उत्तर प्रदेश।