सरकारी स्कूलों में जीरो पीरियड का नया कदम: कमजोर छात्रों को मिलेगी अतिरिक्त सहायता

सरकारी स्कूलों में जीरो पीरियड की शुरुआत
सरकारी स्कूलों में जीरो पीरियड: कमजोर छात्रों को पढ़ाई में मिलेगी मदद: शिक्षा व्यवस्था में जीरो पीरियड अब एक महत्वपूर्ण पहल बन रहा है। शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों में एक अतिरिक्त समय निर्धारित करने का आदेश दिया है, जिसे जीरो पीरियड कहा जाएगा। यह समय स्कूल के आरंभ या समापन से पहले रखा जाएगा।
इस विशेष समय का उद्देश्य उन छात्रों को सहायता प्रदान करना है जो किसी कारणवश पिछड़ गए हैं। इस दौरान उन्हें अक्षर पहचान, पाठ्य पुस्तक पढ़ना, लेखन, पहाड़ा और व्याकरण जैसे मूलभूत कौशल सिखाए जाएंगे।
शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका
शिक्षकों की जिम्मेदारी और अभिभावकों की भागीदारी: शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार, शिक्षकों को छात्रों के पढ़ाई के स्तर का मूल्यांकन करना होगा। कमजोर छात्रों की पहचान कर उन्हें जीरो पीरियड में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, अभिभावकों को भी स्कूल बुलाया जाएगा ताकि वे अपने बच्चों की प्रगति देख सकें।
यदि किसी अभिभावक को स्कूल आने में कठिनाई होती है, तो उन्हें (SMS parent alert) के माध्यम से सूचित किया जाएगा। यह पहल न केवल छात्रों को सहायता प्रदान करेगी, बल्कि अभिभावकों को भी शिक्षा प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करेगी।
निरीक्षण और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया
निरीक्षण और रिपोर्टिंग की व्यवस्था: शिक्षा विभाग ने जिला उपनिदेशकों को निर्देश दिए हैं कि वे हर महीने कम से कम पांच स्कूलों का निरीक्षण करें। निरीक्षण के दौरान (school performance report) तैयार की जाएगी, जिसमें कमजोर प्रदर्शन करने वाले स्कूलों की पहचान की जाएगी।
इस रिपोर्ट के आधार पर स्कूलों को सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। (school academic support) के तहत अतिरिक्त संसाधन और मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि जीरो पीरियड का उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरा हो सके।