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सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2025 के संशोधित परिणाम पर रोक लगाने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2025 के संशोधित परिणाम और काउंसलिंग पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है। छात्र शिवम गांधी रैना द्वारा दायर की गई इस याचिका में अंतिम उत्तर कुंजी में त्रुटियों का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह मामला व्यक्तिगत नहीं है और छात्रों के करियर से संबंधित है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और क्या कहा गया कोर्ट में।
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सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2025 के संशोधित परिणाम पर रोक लगाने की याचिका खारिज की

NEET UG 2025 का मामला

NEET UG Result 2025: सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई को NEET UG 2025 के संशोधित परिणाम और काउंसलिंग पर रोक लगाने की याचिका को अस्वीकार कर दिया। यह याचिका एक छात्र द्वारा दायर की गई थी, जिसमें NEET UG की अंतिम उत्तर कुंजी और परिणाम को चुनौती दी गई थी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर महादान की पीठ ने छात्र शिवम गांधी रैना की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया।


छात्र ने अंतिम उत्तर कुंजी में तीन उत्तरों की गलतियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि तीन उत्तर गलत हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अन्य उत्तर सही हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें जो पेपर दिया गया था, उसमें चार विकल्प थे, जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई है।


जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसे हमने पहले भी खारिज किया था। याचिकाकर्ता के वकील बाला ने तर्क किया कि यह छात्रों के करियर से संबंधित है, यह व्यक्तिगत मामला नहीं है। इससे कई छात्रों पर असर पड़ेगा।


कोर्ट का निर्णय

कोर्ट ने खारिज की याचिका


वकील ने कहा कि इस कोर्ट ने 2024 में परिणाम संशोधित करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा कि ठीक है, धन्यवाद। अधिवक्ता बाला ने सुझाव दिया कि एक समिति का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर कुंजी में स्पष्ट त्रुटि है। इस पर न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा कि हम व्यक्तिगत परीक्षाओं में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।


याचिकाकर्ता की आपत्तियाँ

याचिकाकर्ता ने किन प्रश्नों पर आपत्ति जताई?


याचिकाकर्ता शिवम गांधी रैना ने आरोप लगाया कि एनटीए द्वारा एक प्रश्न (प्रश्न संख्या 136, कोड संख्या 47) के उत्तर में गलती थी। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि शीर्ष अदालत ने 2024 की परीक्षा में हस्तक्षेप किया और आईआईटी दिल्ली द्वारा दी गई विशेषज्ञ रिपोर्ट के आधार पर गलतियों को सुधारने का आदेश दिया। हालांकि, पीठ ने अपना रुख बदलने से इनकार करते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय परीक्षा में किसी व्यक्तिगत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।