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सुप्रीम कोर्ट में सरकारी स्कूलों के भविष्य की लड़ाई: संजय सिंह की याचिका

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि बच्चों का भविष्य किसी राजनीतिक प्रयोग का हिस्सा नहीं बन सकता। इस मामले की सुनवाई 18 अगस्त को होगी, जो न केवल यूपी बल्कि पूरे देश के सरकारी स्कूलों की स्थिति को प्रभावित कर सकती है। जानें इस महत्वपूर्ण लड़ाई के बारे में और इसके संभावित परिणामों के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट में सरकारी स्कूलों के भविष्य की लड़ाई: संजय सिंह की याचिका

सरकारी स्कूलों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के अस्तित्व की रक्षा की कोशिश अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने न केवल प्रदेश के बच्चों की आवाज उठाई, बल्कि हजारों स्कूलों के मर्जर के खिलाफ खुद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यूपी के बच्चों का भविष्य किसी राजनीतिक प्रयोग का हिस्सा नहीं बन सकता, और शिक्षा के अधिकार से समझौता नहीं किया जा सकता।


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख

इस याचिका पर सुनवाई 18 अगस्त को देश की सर्वोच्च अदालत में होगी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अभिभावकों और बच्चों की समस्याओं को अदालत में रखेंगे। संजय सिंह का यह कदम उन लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और जिनका भविष्य सरकार के इस निर्णय से प्रभावित हो सकता है।


5000 से अधिक स्कूलों के बंद होने का खतरा

उत्तर प्रदेश सरकार ने 5,000 से अधिक स्कूलों को मर्जर के तहत बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे 27,000 परिषदीय विद्यालय प्रभावित होंगे और 1,35,000 सहायक शिक्षकों तथा 27,000 प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त हो जाएंगे। शिक्षामित्रों और रसोइयों की सेवाएं भी संकट में आ जाएंगी। यह स्थिति न केवल शिक्षा तंत्र को प्रभावित करेगी, बल्कि लाखों परिवारों की आजीविका पर भी असर डालेगी।


सरकारी स्कूलों की संख्या में गिरावट

पिछले 10 वर्षों में सरकारी स्कूलों की संख्या में देशभर में 8% की कमी आई है, जबकि निजी स्कूलों की संख्या में लगभग 15% की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को धीरे-धीरे कमजोर किया जा रहा है, और यूपी इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। हालांकि, आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली और पंजाब में सरकारी स्कूलों को उच्च स्तर पर स्थापित किया है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों का मॉडल आज पूरे देश में एक उदाहरण बन चुका है, जहां हर बच्चा आधुनिक सुविधाओं और बेहतरीन शिक्षा का हकदार है। यही कारण है कि यूपी में स्कूलों को बचाने की लड़ाई में संजय सिंह की आवाज देशभर के अभिभावकों और बच्चों की आवाज बन गई है।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा

अब पूरे देश की नजरें सुप्रीम कोर्ट की इस सुनवाई पर टिकी हैं। अदालत का निर्णय न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के सरकारी स्कूलों की स्थिति को प्रभावित करेगा। संजय सिंह इस लड़ाई में बच्चों और माता-पिता के सच्चे नायक के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने साबित किया है कि शिक्षा की लड़ाई सबसे बड़ी जनसेवा है।