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हर जिले में गर्ल्स हॉस्टल: ग्रामीण छात्राओं के लिए नया अवसर

केंद्र सरकार ने हर जिले में गर्ल्स हॉस्टल खोलने की योजना बनाई है, जिससे ग्रामीण छात्राओं को उच्च शिक्षा में मदद मिलेगी। यह पहल न केवल आवास की कमी को दूर करेगी, बल्कि परिवारों का विश्वास भी बढ़ाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लड़कियों की पढ़ाई में सुधार होगा और STEM जैसे विषयों में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। 2026 के बजट में इस योजना की आधिकारिक घोषणा की उम्मीद है।
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हर जिले में गर्ल्स हॉस्टल: ग्रामीण छात्राओं के लिए नया अवसर

गांवों की छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा का नया मार्ग


ग्रामीण भारत की लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा अब अधिक सुलभ होने जा रही है। कॉलेजों से दूर रहने, सुरक्षा की चिंताओं और सीमित आवास विकल्पों के कारण अक्सर उनकी पढ़ाई प्रभावित होती थी। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने हर जिले में गर्ल्स हॉस्टल स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है।


छात्राओं को मिलेगा सुरक्षित आवास

यह योजना केवल एक इमारत बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए एक आश्वासन है जो अपनी बेटियों को दूर भेजने से पहले सुरक्षित आवास की तलाश करते हैं। अब छात्राएं बिना किसी समझौते के अपने पसंदीदा पाठ्यक्रम चुन सकेंगी।


ग्रामीण शिक्षा को मिलेगी मजबूती

केंद्र सरकार की योजना के अनुसार, हर जिले में विशेष रूप से कॉलेज जाने वाली लड़कियों के लिए हॉस्टल बनाए जाएंगे। इसका सबसे बड़ा लाभ उन क्षेत्रों को होगा जहां कॉलेज तो हैं, लेकिन छात्राओं के लिए सुरक्षित आवास की कमी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे परिवारों की झिझक कम होगी और आवास की कमी अब पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगी। यह योजना ग्रामीण शिक्षा के ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार ला सकती है।


2026 के बजट में घोषणा की संभावना

शिक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर वित्त मंत्रालय को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, 2026 के आम बजट में इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। मंजूरी मिलने के बाद, 700 से 800 जिलों में हॉस्टल निर्माण का कार्य चरणबद्ध तरीके से शुरू होगा।


राज्यों के साथ साझा रणनीति

26 से 28 दिसंबर के बीच दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा होगी। साथ ही, पढ़ाई छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या को कम करने पर भी जोर दिया जाएगा।


STEM में छात्राओं की भागीदारी बढ़ेगी

ग्रामीण क्षेत्रों की कई प्रतिभाशाली छात्राएं विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे विषयों में रुचि रखती हैं, लेकिन आवास की कमी के कारण दाखिला नहीं ले पाती थीं। अब हॉस्टल की सुविधा से यह स्थिति बदल सकती है। सरकार STEM कोर्स की सीटें बढ़ाने और छात्राओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी काम कर रही है।


ड्रॉपआउट दर में कमी की उम्मीद

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत महिला नामांकन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में यह आंकड़ा लगभग 29 प्रतिशत है। आवास और सुरक्षा की चिंताएं ड्रॉपआउट का एक बड़ा कारण रही हैं। हॉस्टल के निर्माण से परिवारों का विश्वास बढ़ेगा और छात्राओं को कॉलेज के करीब सुरक्षित रहने का विकल्प मिलेगा।