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क्या पुरानी पेंशन योजना की बहाली होगी? जानें कर्मचारियों की मांग और सरकार की रणनीति

सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को ज्ञापन सौंपकर इस योजना को लागू करने की मांग की गई है। पुरानी पेंशन योजना से रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा मिलती है, जबकि नई योजना में कर्मचारियों को योगदान देना पड़ता है। कई राजनीतिक दल इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। जानें इस विषय पर ताजा अपडेट और सरकार की संभावित रणनीति क्या हो सकती है।
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पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग

क्या पुरानी पेंशन योजना की बहाली होगी? जानें कर्मचारियों की मांग और सरकार की रणनीति
पुरानी पेंशन योजना की बहाली: सरकारी कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। इस मुद्दे पर कर्मचारियों के बीच चर्चा जारी है। हाल ही में, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को ज्ञापन सौंपकर पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि वे नेशनल पेंशन स्कीम के बजाय पुरानी पेंशन योजना को प्राथमिकता दे रहे हैं।


पुरानी पेंशन योजना से सेवानिवृत्त होने के बाद आर्थिक सुरक्षा मिलती है। इस योजना के तहत, रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता है, साथ ही महंगाई भत्ता भी समय-समय पर मिलता है। इसके अलावा, कर्मचारियों को किसी प्रकार का आर्थिक योगदान नहीं करना पड़ता। ऐसे में, सरकार इस संबंध में जल्द ही महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलेगा, वे आंदोलन जारी रखेंगे।


पुरानी पेंशन योजना के संबंध में हालिया अपडेट यह है कि इसे फिर से लागू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। कई राजनीतिक दल इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, जबकि कुछ इसका समर्थन कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस में उन्हें अपनी सैलरी का एक हिस्सा देना पड़ता है, जो उनके लिए आर्थिक बोझ बनता है। इसके विपरीत, पुरानी पेंशन योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है और रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित राशि प्रदान करती है, जिससे वित्तीय सुरक्षा मिलती है।


पुरानी और नई पेंशन योजनाओं के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिनकी वजह से कर्मचारी पुरानी योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं। एनपीएस के तहत कर्मचारियों को अपनी सैलरी का 10% योगदान देना होता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई योगदान नहीं होता। इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना में महंगाई भत्ता समय-समय पर मिलता है, जिससे पेंशन राशि बढ़ती रहती है। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है, तो उसके परिवार को पुरानी पेंशन राशि मिलती है, जबकि एनपीएस में ऐसा प्रावधान नहीं है।


सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा की है, जिसे OPS और NPS के बीच एक संतुलित विकल्प माना जा रहा है। इस योजना के तहत कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% योगदान देना होगा, जबकि सरकार 18.5% का योगदान देगी। इसके अलावा, इस स्कीम के तहत पेंशन की राशि कर्मचारियों की अंतिम 12 महीनों की औसत सैलरी के आधार पर तय की जाएगी। यूपीएस के ऐलान के बावजूद, कई कर्मचारी संगठन अभी भी OPS की बहाली की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि यूपीएस में कर्मचारियों को योगदान देना पड़ेगा। सरकार जल्द ही पुरानी पेंशन योजना पर निर्णय ले सकती है, हालांकि इसमें कुछ समय लग सकता है।