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2025 में अन्नप्राशन संस्कार: शुभ मुहूर्त और अनुष्ठान

अन्नप्राशन संस्कार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें शिशु को पहली बार अन्न का सेवन कराया जाता है। यह संस्कार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह परिवार और समाज को एकजुट करने का भी एक अवसर है। 2025 में अन्नप्राशन के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जिनमें जनवरी से दिसंबर तक विभिन्न तिथियाँ शामिल हैं। इस लेख में, हम इन मुहूर्तों और अनुष्ठान की महत्ता के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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2025 में अन्नप्राशन संस्कार: शुभ मुहूर्त और अनुष्ठान

अन्नप्राशन संस्कार का महत्व

अन्नप्राशन संस्कार भारतीय संस्कृति में शिशु के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें बच्चे को जन्म के छह महीने बाद पहली बार अन्न का सेवन कराया जाता है। यह संस्कार न केवल शिशु के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार और समाज को एकजुट करने का एक सुंदर अवसर भी है।


समारोह का आयोजन

इस विशेष दिन पर रिश्तेदार और मित्र बच्चे को आशीर्वाद देने के लिए एकत्र होते हैं, जिससे शिशु को भारतीय परंपराओं से जोड़ने की शुरुआत होती है। आमतौर पर, इस अवसर पर बच्चे को चावल की खीर, दाल का पानी या हल्की खिचड़ी जैसे पचने में आसान भोजन दिए जाते हैं। इस संस्कार को और भी शुभ बनाने के लिए सही मुहूर्त का चयन करना आवश्यक है।


2025 के शुभ मुहूर्त

अन्नप्राशन संस्कार का महत्व धार्मिक, भावनात्मक और सामाजिक है। यह शिशु के जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां परिवार मिलकर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। 2025 में कई शुभ तिथियां और समय उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, जनवरी में 1 और 2 तारीख को उत्तरा आषाढ़ और श्रवण नक्षत्र में कई शुभ मुहूर्त हैं।


जनवरी में अन्नप्राशन के लिए 1 जनवरी को सुबह 7:50 से 10:20, दोपहर 11:55 से शाम 4:40, और शाम 7:05 से रात 11:30 तक उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र में मुहूर्त उपलब्ध हैं। इसी तरह, 2 जनवरी को श्रवण नक्षत्र में सुबह 7:50 से 10:15, दोपहर 11:49 से शाम 4:40, और शाम 6:59 से रात 11:30 तक शुभ समय है।


अन्य महीनों के मुहूर्त

फरवरी में रोहिणी और पुनर्वसु नक्षत्रों में 7, 10 और 17 तारीख को कई मुहूर्त हैं। मार्च में अश्विनी, रोहिणी और शतभिषा नक्षत्रों में 3, 6, 24, 27 और 31 तारीख को शुभ समय उपलब्ध हैं।


अप्रैल में कृत्तिका, उत्तराफाल्गुनी और स्वाति नक्षत्रों में 2, 10, 14, 25 और 30 तारीख को मुहूर्त हैं। मई में रोहिणी, हस्त और मृगशीर्ष नक्षत्रों में 1, 9, 14, 19 और 28 तारीख को समय उपयुक्त है।


जून से दिसंबर तक के मुहूर्त

जून से दिसंबर तक भी कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। जून में हस्त, धनिष्ठा, रोहिणी और पुष्य नक्षत्रों में 5, 16, 20, 23, 26 और 27 तारीख को संस्कार किए जा सकते हैं। जुलाई में उत्तराफाल्गुनी, चित्रा और रेवती नक्षत्रों में 2, 4, 17 और 31 तारीख को शुभ समय है।


अगस्त में ज्येष्ठा, पुष्य और चित्रा नक्षत्रों में 4, 11, 13, 20, 21, 25, 27 और 28 तारीख को मुहूर्त हैं। सितंबर में श्रवण और स्वाति नक्षत्रों में 5 और 24 तारीख को समय उपयुक्त है।


अक्टूबर में उत्तरा आषाढ़, अश्विनी और अनुराधा नक्षत्रों में 1, 2, 8, 10, 22, 24 और 29 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं। नवंबर में रोहिणी, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्रों में 3, 7, 17 और 27 तारीख को समय है।


दिसंबर में रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और शतभिषा नक्षत्रों में 4, 8, 17, 22, 24, 25 और 29 तारीख को मुहूर्त उपलब्ध हैं।


संस्कार का उत्सव

इन शुभ मुहूर्तों का चयन करते समय नक्षत्रों और समय का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि यह संस्कार बच्चे के जीवन की पहली महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है। परिवार के साथ इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाएं, और बच्चे को हल्का, पौष्टिक भोजन जैसे खीर या दाल का पानी खिलाकर इस पल को यादगार बनाएं। यह संस्कार न केवल बच्चे के स्वास्थ्य की नींव रखता है, बल्कि परिवार में एकता और खुशी का संदेश भी देता है।