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अनुपम खेर और मिहिर आहूजा ने मनाई दिवाली

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अनुपम खेर और मिहिर आहूजा ने मनाई दिवाली


इस दिवाली, बॉलीवुड के दिग्गज अनुपम खेर और नए कलाकार मिहिर आहूजा ने रिश्तों, देखभाल और साथ के गहरे अर्थों पर विचार किया। इन भावनाओं को वे अपनी नई फिल्म विजय 69 में प्रस्तुत करते हैं, जिसका निर्देशन अक्षय रॉय ने किया है और निर्माण मनीष शर्मा ने किया है।

नेटफ्लिक्स और वाईआरएफ एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत इस दिल छू लेने वाली कहानी में मिहिर आहूजा का किरदार अनुपम खेर के किरदार विजय मैथ्यू का एक अप्रत्याशित साथी और चीयरलीडर बन जाता है, यह साबित करते हुए कि जीवन में बनते रिश्ते खून के रिश्तों तक सीमित नहीं होते।

फिल्म के इस विशेष संदेश पर अनुपम खेर कहते हैं, इस दिवाली, जब हम एकता और पारिवारिक बंधन का जश्न मना रहे हैं, विजय 69 हमें यह याद दिलाती है कि परिवार सिर्फ खून के रिश्तों से नहीं बनता। कई बार हमारे जीवन में आने वाले अजनबी ही सबसे अधिक देखभाल करने वाले साबित होते हैं। मिहिर का किरदार मेरी यात्रा का वह अप्रत्याशित उजाला है, और असल ज़िंदगी में भी हमारे बीच एक ऐसा बंधन बना है जो परिवार जैसा ही महसूस होता है।

वे आगे कहते हैं, फिल्म में एक खूबसूरत संदेश है कि युवा पीढ़ी बुजुर्गों के जीवन में खुशियाँ और उत्साह ला सकती है। वे उनके लिए अच्छे साथी बन सकते हैं और उनके जीवन में उम्मीद जगा सकते हैं। एक समाज को उसकी पहचान हमेशा यह बताती है कि वह अपने बुजुर्गों के साथ कैसा बर्ताव करता है। मुझे भारत के युवाओं पर भरोसा है कि वे दुनिया को दिखाएंगे कि हमारा देश अपने नागरिकों को बेहद प्यार और सम्मान देता है।

मिहिर आहूजा के लिए अनुपम खेर जैसे दिग्गज के साथ काम करना एक सीख और सौभाग्य की बात रही। फिल्म के समावेशी संदेश से प्रभावित मिहिर कहते हैं, विजय 69 दिवाली के लिए एक परफेक्ट फिल्म है। इस रोशनी के त्योहार पर हम साथ और परिवार के रिश्ते का जश्न मनाते हैं। हमारी फिल्म में हम दिखाते हैं कि दो अलग-अलग पीढ़ियों के अजनबी किस तरह एक-दूसरे की मदद कर एक परिवार बन जाते हैं। यह फिल्म मुझे एक परियोजना के रूप में छू गई, और मुझे अच्छा लगा कि यह दिखाती है कि युवा पीढ़ी बुजुर्गों का सम्मान करती है जिन्होंने हमारे लिए दुनिया का निर्माण किया।

मिहिर आगे कहते हैं, मुझे पसंद है कि फिल्म में हम दिखाते हैं कि किसी भी इंसान का परिवार बनना संभव है। हमें बस एक समावेशी समाज की जरूरत है, जिसमें हम दूसरों की परवाह करें और एक-दूसरे के सपनों का सम्मान करें। फिल्म दिखाती है कि हमें एक-दूसरे का समर्थन करने और जश्न मनाने के लिए खून के रिश्ते की जरूरत नहीं है। मुझे यह पसंद है कि फिल्म युवाओं को बुजुर्गों के जीवन में खुशी लाने के लिए परिपक्व दिखाती है। हमारी पीढ़ी बुजुर्गों से सहानुभूति का सच्चा मतलब और परिवार बनने का मर्म सीख सकती है। विजय 69 पर काम करना और अनुपम सर से हर दिन सेट पर सीखना मेरे लिए सचमुच समृद्ध अनुभव रहा है।

हंसी, दृढ़ संकल्प और संवेदनशील क्षणों का मेल, विजय 69 08 नवंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज के लिए तैयार है।

हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे