CJI सूर्यकांत ने मध्यस्थता के महत्व पर जोर दिया
मध्यस्थता को एक विकास के रूप में देखा जाए
CJI सूर्यकांत ने कहा- विवादों का समाधान केवल ट्रायल तक सीमित नहीं होना चाहिए। गोवा के पणजी में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च के मिडिएशन अवेयरनेस वॉकथॉन में मुख्य न्यायाधीश ने मध्यस्थता के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि मध्यस्थता कानून की कमी नहीं, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण विकास है। यह न्याय के पारंपरिक तरीके से भागीदारी के नए तरीके की ओर एक बदलाव है।
कार्यक्रम सांकवाले गांव में हुआ, जहां सीजेआई ने 2 लाख मिडिएटर्स के साथ वॉकथॉन में भाग लिया और पौधारोपण भी किया।
मध्यस्थता को एक सफल विकल्प माना जा रहा है
सीजेआई ने कहा कि मध्यस्थता को एक सफल और किफायती समाधान के रूप में देखा जा रहा है। यह दोनों पक्षों के लिए लाभकारी है क्योंकि यह एक समझौता है।
मीडिएशन फॉर नेशन पहल की शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेकहोल्डर्स को जागरूक करने के लिए मीडिएशन फॉर नेशन पहल शुरू की है। यह संदेश न्याय के उपभोक्ताओं और बार तथा बेंच जैसे सीधे स्टेकहोल्डर्स के लिए है।
संवेदनशीलता से अच्छे परिणाम मिलेंगे
सीजेआई ने कहा कि यदि लोग संवेदनशील बनें, तो उन्हें यह समझ में आएगा कि मध्यस्थता एक प्रभावी उपकरण है। इससे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे, और यह प्रक्रिया पुराने और नए मामलों दोनों के लिए उपयोगी है।
प्रशिक्षित मीडिएटर्स की आवश्यकता
सीजेआई ने बताया कि विवादों के समाधान में मध्यस्थता को ट्रायल के विकल्प के रूप में अपनाने के लिए जागरूकता आवश्यक है। हाल के वर्षों में मध्यस्थता की सफलता दर में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है।
मध्यस्थता के अच्छे परिणाम
सीजेआई ने कहा कि वाणिज्यिक विवाद, वैवाहिक मामलों, मोटर दुर्घटना दावों और चेक बाउंस से संबंधित मामलों में मध्यस्थता के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।
