Gaza सहायता जहाज पर इजरायली सेना का कब्जा: ग्रेटा थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ता सुरक्षित

गाजा की ओर बढ़ रहा सहायता जहाज रोका गया
Gaza aid ship: सोमवार की सुबह इजरायली नौसेना ने गाजा पट्टी की दिशा में जा रहे एक सहायता जहाज को रोक लिया। इस जहाज में स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और फ्रांस की यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन सहित कई अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता मौजूद थे। यह जहाज इजरायली नौसैनिक नाकाबंदी को तोड़ने का प्रयास कर रहा था।
ब्रिटेन के झंडे के साथ चलने वाला यह जहाज 'मैडलिन' 6 जून को इटली के सिसिली से निकला था और सोमवार को गाजा पहुंचने की कोशिश कर रहा था। इस मिशन का आयोजन प्रोपैलेस्टीनियन फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन (FFC) द्वारा किया गया था।
इजरायली सेना ने सहायता जहाज को रोका
इजरायली सेना ने मीडिया को बताया कि यह जहाज गाजा की ओर बढ़ रहा था और इजराइल की नौसैनिक नाकाबंदी को तोड़ने का प्रयास कर रहा था। सेना ने इसे रोककर इजरायल की दिशा में मोड़ दिया। जहाज पर मौजूद सभी कार्यकर्ता सुरक्षित हैं।
All the passengers of the ‘selfie yacht’ are safe and unharmed. They were provided with sandwiches and water. The show is over. pic.twitter.com/tLZZYcspJO
— Israel Foreign Ministry (@IsraelMFA) June 9, 2025
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि 'सेल्फी यॉट' में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं और उन्हें पानी और सैंडविच प्रदान किए गए हैं। अब यह तमाशा समाप्त हो चुका है।
फ्रीडम फ्लोटिला का इजरायल पर आरोप
फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन ने इजरायल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कोएलिशन का कहना है कि इजरायली सेना ने सोमवार तड़के लगभग 3:02 बजे (CET) 'मैडलिन' जहाज पर अवैध रूप से कब्जा किया। इसके अनुसार, जहाज का चालक दल निहत्था था, जिसे जबरन हिरासत में लिया गया और जीवन रक्षक सामग्रियों जैसे बेबी फॉर्मूला, खाद्य पदार्थ और दवाएं जब्त कर ली गईं।
फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन की आयोजक हुवैदा अर्राफ ने कहा, 'इजरायल को अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों को रोकने या हिरासत में लेने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।'
गाजा की ओर जहाज का उद्देश्य
यह जहाज एक शांति मिशन के तहत रवाना हुआ था, जिसका मुख्य उद्देश्य गाजा के निवासियों तक राहत सामग्री पहुंचाना और इजरायल की नाकाबंदी के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करना था। इस मिशन को विश्वभर के मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है।