Newzfatafatlogo

MP हाई कोर्ट का अहम फैसला: पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध को दुष्कर्म नहीं माना

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता, जिससे पति को राहत मिली। हालांकि, दहेज उत्पीड़न का मामला जारी रहेगा। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और धारा 377 का महत्व।
 | 
MP हाई कोर्ट का अहम फैसला: पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध को दुष्कर्म नहीं माना

MP हाई कोर्ट का निर्णय

MP हाई कोर्ट: मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने अपने पति के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध, दुष्कर्म और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था। इसके जवाब में पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। इस आधार पर कोर्ट ने पति को राहत देते हुए उसके खिलाफ धारा 377 का मामला खारिज कर दिया। हालांकि, पति पर दहेज उत्पीड़न का मामला जारी रहेगा।


कोर्ट की टिप्पणी

‘अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं’


जबलपुर हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है। यदि यह पत्नी की इच्छा के खिलाफ किया जाता है, तो यह क्रूरता की श्रेणी में आता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पति के खिलाफ धारा 377 का मामला खारिज कर दिया। अब पति पर केवल दहेज प्रताड़ना का मुकदमा चलेगा।


मामले का विवरण

आखिर क्या है मामला?


ग्वालियर जिले के सिरोल में एक युवक के खिलाफ उसकी पत्नी ने दहेज मांगने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पति ने इस मामले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में युवक ने पत्नी होने का हवाला देते हुए दहेज और अप्राकृतिक यौन संबंध के मामले को खारिज करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने विभिन्न मामलों का उल्लेख करते हुए निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि बालिग पत्नी के साथ किया गया यौन संबंध बलात्कार या अप्राकृतिक सेक्स की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए पति के खिलाफ केवल दहेज उत्पीड़न का मामला चलेगा।


धारा 377 का महत्व

क्या है धारा 377?


भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत 'अप्राकृतिक यौन संबंध' एक अपराध माना जाता है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पुरुष, महिला या जानवर के साथ 'प्रकृति के विरुद्ध' यौन संबंध बनाता है, तो उसे 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसके साथ ही आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।