अनुपम खेर का नया निर्देशन: 'तन्वी द ग्रेट' में भारतीय सेना को समर्पित

अनुपम खेर का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
अनुपम खेर का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: इंडिया न्यूज़ के एंकर उदय प्रताप सिंह ने अनुपम खेर के साथ एक विशेष बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी आगामी फिल्म 'तन्वी द ग्रेट' के बारे में चर्चा की। अनुपम खेर, जो दो दशकों के बाद निर्देशन में लौट रहे हैं, ने इस फिल्म का निर्देशन किया है। इस फिल्म में शुभांगी नाम की एक नई अभिनेत्री ने अपने करियर की शुरुआत की है। फिल्म की कहानी एक आर्टिस्टिक लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है और इसमें भारतीय सेना को भी श्रद्धांजलि दी गई है। आइए जानते हैं कि इस इंटरव्यू में अनुपम खेर ने क्या कहा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की फिल्म देखने की इच्छा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आपकी फिल्म देखने वाली हैं, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
अनुपम खेर- यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उन्होंने हमारी फिल्म देखने की सहमति दी। चूंकि यह फिल्म भारतीय सेना पर आधारित है और राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर हैं, इसलिए जब वह इसे देखेंगी, तो फिल्म का महत्व और बढ़ जाएगा। हम खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें हमारी फिल्म दिखाने का अवसर मिलेगा।
शुभांगी का कांस फिल्म फेस्टिवल अनुभव
शुभांगी, आप अपनी पहली फिल्म से कांस फिल्म फेस्टिवल तक पहुंच गईं, इसे आप कैसे देखती हैं?
शुभांगी- सच कहूं तो मुझे खुद पर विश्वास नहीं हो रहा। मेरी पहली फिल्म को राष्ट्रपति देख रही हैं, मैं कांस गई, रॉबर्ट डी नीरो से मिली – ये सब सपनों से भी बढ़कर है। मुझे समझ नहीं आता कि इसके बाद मैं और क्या सोचूं। मेरे सारे सपने तो पहले ही पूरे हो चुके हैं।
तन्वी के किरदार के लिए तैयारी
आपने इस किरदार 'तन्वी' के लिए खुद को कैसे तैयार किया?
शुभांगी- मैंने बहुत अभ्यास किया, रिसर्च की और अनुपम सर की गाइडेंस ली। मैंने तन्वी को अपने मन से महसूस किया और समझा, फिर उसे निभाने की कोशिश की। जो कुछ भी आपने ट्रेलर में देखा, वो सब इस तैयारी का ही नतीजा है।
अनुपम खेर का निर्देशन में वापसी
अनुपम जी, आखिर इस कहानी में ऐसा क्या था जिसने आपको दो दशक बाद फिर से निर्देशन के लिए प्रेरित किया?
अनुपम खेर- मैं दरअसल ऐसी कहानी की तलाश में था जो मुझे भी सुकून दे और दर्शकों को भी खुशी दे। 'तन्वी द ग्रेट' में मुझे वही कहानी मिली- एक सरल, भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी।
भारतीय सेना को ट्रिब्यूट
शुभांगी, इस फिल्म के जरिए जब आपने भारतीय सेना को पर्दे पर प्रस्तुत किया, तब आपके भीतर क्या भावनाएं आईं?
शुभांगी- यह मेरे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं थी बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी थी। जब मैंने भारतीय सेना के बारे में पढ़ा, रिसर्च की, तो समझ आया कि उनकी जिंदगी कितनी कठिन और अनुशासित होती है। हमारी सामान्य परेशानियां उनके सामने कुछ भी नहीं हैं। मेरा किरदार उनके लिए एक ट्रिब्यूट है।
अनुपम खेर का डेब्यू
अनुपम जी, क्या आपको याद है कि आपके डेब्यू से पहले आपके मन में क्या चल रहा था?
अनुपम खेर- आज तो इंटरव्यू पर इंटरव्यू हो रहे हैं, लेकिन जब मेरी पहली फिल्म आने वाली थी, तो पूरे देश में सिर्फ एक पोस्टर लगा था, वो भी राजश्री प्रोडक्शन के ऑफिस के बाहर। मैं रात में जाकर उसे देखता था। मगर ट्रायल शो इतने अच्छे रहे कि मैंने एक हफ्ते में 57 फिल्में साइन कर ली थीं।
तन्वी द ग्रेट का शीर्षक
‘तन्वी द ग्रेट’ का शीर्षक काफी दमदार है। ‘द ग्रेट’ सुनते ही आपके दिमाग में सबसे पहले कौन आता है?
अनुपम खेर- मेरे दादाजी। वो शिमला में सिविल इंजीनियर थे। एक बार उन्हें 30 हजार की रिश्वत दी गई, तो उन्होंने नौकरी ही छोड़ दी। जब पूछा गया कि रिश्वत न लो लेकिन नौकरी क्यों छोड़ रहे हो, तो उन्होंने कहा- “आज मुझे पैसों की ज़रूरत नहीं है, लेकिन कल जरूरत पड़ी तो शायद मैं भी ले लूं। इसलिए मैं ऐसी नौकरी नहीं करना चाहता जो मुझे गलत रास्ते पर ले जाए।” मेरे लिए वो सच में ‘द ग्रेट’ हैं। मैंने जीवन के असल मूल्य उन्हीं से सीखे।
प्यार की परिभाषा
आपने हाल ही में ‘मेट्रो इन दिनों’ में प्यार पर आधारित किरदार निभाया। अनुपम खेर की नज़र में प्यार की असली परिभाषा क्या है?
अनुपम खेर- प्यार की असली परिभाषा है निस्वार्थता। जब आप किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो उसमें स्वार्थ की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। आप पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं, बस वही असली प्यार है।
फिल्म का सारांश
कैसी है फिल्म?
‘तन्वी द ग्रेट’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक भावनात्मक यात्रा है। निर्देशक अनुपम खेर की वापसी, शुभांगी का दमदार डेब्यू और भारतीय सेना को एक सच्चा ट्रिब्यूट। राष्ट्रपति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने वाली यह फिल्म निश्चय ही दर्शकों के दिलों को छूने वाली है।