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अनुभव सिन्हा ने 'मुल्क' की सातवीं वर्षगांठ पर साझा की भावनाएं

बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक अनुभव सिन्हा ने अपनी फिल्म 'मुल्क' की सातवीं वर्षगांठ पर एक भावुक नोट साझा किया। उन्होंने फिल्म के प्रासंगिक मुद्दों और सामाजिक जागरूकता की कमी पर चिंता व्यक्त की। साथ ही, उन्होंने दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर के साथ अपनी अंतिम मुलाकात को याद किया। 'मुल्क' एक कोर्टरूम ड्रामा है, जो साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहों को उजागर करती है। इस लेख में अनुभव सिन्हा की भावनाएं और फिल्म की प्रासंगिकता पर चर्चा की गई है।
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अनुभव सिन्हा ने 'मुल्क' की सातवीं वर्षगांठ पर साझा की भावनाएं

अनुभव सिन्हा का 'मुल्क' पर विचार

प्रसिद्ध बॉलीवुड निर्देशक अनुभव सिन्हा, जिन्होंने हाल ही में 'भीड़' का निर्देशन किया, अपनी सामाजिक ड्रामा फिल्म 'मुल्क' की रिलीज के सात साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। रविवार को, उन्होंने इंस्टाग्राम पर फिल्म के सेट से कुछ अनदेखी तस्वीरें साझा कीं और एक भावुक संदेश लिखा, जिसमें उन्होंने सामाजिक जागरूकता की कमी और पिछले सात वर्षों में इसमें कोई सुधार न होने पर निराशा व्यक्त की।


सात साल बाद भी प्रासंगिकता

अनुभव सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया पर एक नोट में लिखा, 'सात साल हो गए। इस फिल्म को अब तक अप्रासंगिक हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह बहुत दुखद है। मुझे गर्व है कि हमने इसे बनाया। पूरी टीम ने मिलकर इसे संभव बनाया। मैं केवल एक प्रबंधक था।'


ऋषि कपूर की यादें

अपने नोट में, सिन्हा ने ऋषि कपूर के साथ अपनी अंतिम मुलाकात का उल्लेख किया, जो अमिताभ बच्चन की दिवाली पार्टी में हुई थी। उन्होंने लिखा, 'आखिरी बार मैं चिंटू जी से अमित जी की दिवाली पार्टी में मिला था। उन्होंने इलाज के बाद वापसी की थी। मैंने 'थप्पड़' की शूटिंग पूरी कर ली थी। उन्होंने मुझसे पूछा, 'क्या तुम्हारी शूटिंग खत्म हो गई? एक दिन और जोड़ो, मैं पीछे से आकर एक सीन कर लूंगा।'


फिल्म 'मुल्क' का सार

फिल्म 'मुल्क' (2018) एक कोर्टरूम ड्रामा है, जो एक मुस्लिम परिवार की कहानी के माध्यम से साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहों और सामाजिक भेदभाव को उजागर करती है। इस फिल्म में ऋषि कपूर ने मुराद अली मोहम्मद का किरदार निभाया था, जो एक सम्मानित व्यक्ति है, जिसे सामाजिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। तापसी पन्नू, राजकुमार राव, और प्रतीक बब्बर जैसे कलाकारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। सिन्हा ने अपनी पोस्ट में इस बात पर दुख व्यक्त किया कि सात साल बाद भी फिल्म का मुद्दा उतना ही प्रासंगिक बना हुआ है, जो सामाजिक सौहार्द की कमी को दर्शाता है।