आमिर ख़ान की नई फ़िल्म 'सितारे ज़मीन पर': एक संवेदनशील कहानी

आमिर ख़ान का अद्वितीय अभिनय
आमिर ख़ान के बारे में मुझे दो बातें बहुत पसंद हैं। पहली यह कि वे अपनी फ़िल्मों में सुपरस्टार आमिर ख़ान नहीं रहते, बल्कि किरदारों में ढल जाते हैं। इस फ़िल्म में भी ऐसा ही अनुभव हुआ। उन्होंने गुलशन के किरदार को बखूबी निभाया है, जो आत्माभिमानी, आत्मकेंद्रित और चिड़चिड़ा है, और उसे एक संवेदनशील कोच में बदलने की यात्रा को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया है।
फ़िल्म 'सितारे ज़मीन पर' का परिचय
इस बार सिने-सोहबत में चर्चा का केंद्र एक महत्वपूर्ण फ़िल्म 'सितारे ज़मीन पर' है, जो स्पैनिश फ़िल्म 'कैम्पियॉन्स (चैंपियंस)' की आधिकारिक हिंदी रीमेक है। इस संवेदनशील फ़िल्म के लेखक दिव्य निधि शर्मा हैं और इसका निर्देशन आरएस प्रसन्ना ने किया है। आमिर ख़ान ने न केवल मुख्य भूमिका निभाई है, बल्कि वे और अपर्णा पुरोहित इस फ़िल्म के निर्माता भी हैं।
फ़िल्म का संदेश
फ़िल्म का मूल संदेश स्पष्ट है, 'सबका अपना-अपना नॉर्मल होता है'। यह फ़िल्म समाज में उन लोगों के प्रति सहानुभूति बढ़ाने का प्रयास करती है, जिन्हें अक्सर 'अबनॉर्मल' कहकर खारिज कर दिया जाता है। यह दर्शाती है कि न्यूरो-डायवर्जेंट लोग दुनिया को एक अलग दृष्टिकोण से देखते हैं। यह फ़िल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि हमें सोचने पर मजबूर भी करती है कि असली अबनॉर्मेलिटी शायद हमारे दृष्टिकोण में ही है।
गुलशन की कहानी
गुलशन अरोड़ा (आमिर ख़ान) एक जूनियर बास्केटबॉल कोच है, जो अपनी मां (डॉली अहलूवालिया) के साथ रहता है और उसकी पत्नी (जेनेलिया डिसूज़ा) से अनबन है। उसकी व्यक्तिगत और पेशेवर ज़िंदगी में निराशा है। एक रात शराब पीकर गाड़ी चलाने के बाद उसे कम्युनिटी सर्विस की सजा मिलती है, जिसमें उसे डाउन सिंड्रोम वाले युवाओं की बास्केटबॉल टीम बनानी होती है। शुरू में गुलशन इन खिलाड़ियों को 'अबनॉर्मल' समझता है, लेकिन धीरे-धीरे वह उनके साथ एक संवेदनशील इंसान बन जाता है।
निर्देशक और लेखक की भूमिका
निर्देशक आरएस प्रसन्ना ने पहले भी कई चर्चित फ़िल्में बनाई हैं। 'सितारे ज़मीन पर' के माध्यम से वे न्यूरो-डायवर्जेंट युवाओं की कहानी को प्रस्तुत कर रहे हैं। लेखक दिव्य निधि शर्मा ने इसे भारतीय समाज की संवेदनाओं के अनुरूप ढालने का प्रयास किया है। फ़िल्म के संवाद भी विचारोत्तेजक और मार्मिक हैं।
कास्टिंग और प्रदर्शन
फ़िल्म की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसकी कास्टिंग है, जिसमें असल ज़िंदगी के डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे वयस्कों को शामिल किया गया है। उनकी मासूमियत और नटखटपन दर्शकों को प्रभावित करते हैं। फ़िल्म में डॉली अहलूवालिया और बृजेंद्र काला जैसे कलाकार भी हैं, जो अपनी भूमिकाओं में प्रभाव छोड़ते हैं।
समाज में बदलाव की कोशिश
'सितारे ज़मीन पर' ने यह स्पष्ट किया है कि डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे बच्चों को सामान्य तरीके से ट्रीट किया जाना चाहिए। फ़िल्म में हास्य का उपयोग करके पूर्वाग्रहों और भेदभाव को तोड़ने की कोशिश की गई है।
आमिर ख़ान का साहस
आमिर ख़ान ने अपनी फ़िल्म को सिनेमाघरों में लाने का साहस दिखाया है, ताकि लोग बड़े पर्दे पर सिनेमा का अनुभव कर सकें। यह फ़िल्म आपके नज़दीकी सिनेमाघर में प्रदर्शित हो रही है, इसे देखना न भूलें।