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इस्माइल दरबार ने संजय लीला भंसाली से दूरी बनाने का किया ऐलान

इस्माइल दरबार ने हाल ही में संजय लीला भंसाली के साथ काम करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि भंसाली के साथ उनके रिश्ते में दरार आ चुकी है, जो 'देवदास' के बाद से बढ़ी है। दरबार ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उनके बीच मतभेद उत्पन्न हुए और उन्होंने भंसाली के साथ काम करने का निर्णय क्यों लिया। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और दरबार के विचार।
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इस्माइल दरबार ने संजय लीला भंसाली से दूरी बनाने का किया ऐलान

इस्माइल दरबार का भंसाली पर हमला

Devdas Composer: प्रसिद्ध संगीतकार इस्माइल दरबार, जिन्होंने फिल्म उद्योग में अपनी एक खास पहचान बनाई है, ने हाल ही में फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली पर तीखा हमला किया है। एक साक्षात्कार में दरबार ने स्पष्ट किया कि वह अब भंसाली के साथ किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, 'अगर संजय मुझसे कहें कि कृपया मेरी फिल्म का संगीत बनाओ और मैं तुम्हें ₹100 करोड़ दूंगा, तो मैं उन्हें कहूंगा, 'पहली फुर्सत में चले जाओ यहाँ से।'


भंसाली और दरबार की जोड़ी का अतीत

दरबार और भंसाली की जोड़ी ने 90 के दशक के अंत में 'हम दिल दे चुके सनम' और 'देवदास' जैसी यादगार फिल्में बनाई थीं, लेकिन अब उनके बीच की दूरी काफी बढ़ गई है।


दरबार और भंसाली के बीच मतभेद

इस्माइल दरबार और संजय लीला भंसाली ने बॉलीवुड को कई शानदार धुनें दी हैं। 1999 में आई 'हम दिल दे चुके सनम' में दरबार के संगीत ने फिल्म को एक नई ऊंचाई दी थी। 2002 में 'देवदास' का संगीत आज भी बॉलीवुड की क्लासिक रचनाओं में गिना जाता है। इन दोनों फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई, बल्कि राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड भी जीते। लेकिन इन सफलताओं के बावजूद, 'देवदास' के बाद उनके रिश्ते में दरार आ गई।


दरबार का अनुभव

दरबार ने बताया कि 'हिरामंडी' के प्रारंभिक चरण में ही उनके और भंसाली के बीच मतभेद उत्पन्न हुए थे। उन्होंने कहा, 'एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मेरा संगीत फिल्म की रीढ़ है। संजय को लगा कि मैंने यह खबर खुद छपवाई है। उन्होंने मुझे बुलाकर कहा, 'इस्माइल, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?' फिर बोले, 'जाने दो।' तब मुझे समझ आ गया कि वह मुझे ऐसी स्थिति में डाल देंगे कि मैं खुद ही प्रोजेक्ट छोड़ दूंगा। इसलिए मैंने पहले ही छोड़ दिया।'


'मैं उनकी फिल्मों की रीढ़ था' – दरबार

संगीतकार ने कहा कि भंसाली को यह डर था कि उनकी मेहनत का श्रेय किसी और को न मिल जाए। 'जब रीढ़ इस्माइल दरबार हों, तो उन्हें डर लगने लगा था कि नाम कहीं मेरा न हो जाए। 'हम दिल दे चुके सनम' में मैं रीढ़ था, 'देवदास' में भी। यह मैं नहीं कह रहा, उनके पीआर ने कहा था। बस वहीं से सब बिगड़ गया।'


गुज़ारिश और बाजीराव मस्तानी

दरबार का कहना है कि उन्हें 'गुज़ारिश' के लिए भी पहले चुना गया था, लेकिन बाद में भंसाली ने खुद ही संगीत तैयार किया। उन्होंने खुलासा किया कि 2005 में जब भंसाली ने उन्हें 'बाजीराव मस्तानी' के लिए संगीत देने का प्रस्ताव दिया, तो उन्होंने मना कर दिया। बाद में 'बाजीराव मस्तानी' 2015 में रिलीज हुई, जिसमें भंसाली ने खुद संगीतकार की भूमिका निभाई।