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कथक की महान हस्ती मंगला भट्ट की अमर विरासत

मंगला भट्ट, कथक की एक महान नृत्यांगना, जिन्होंने अपने जीवन को नृत्य की साधना में समर्पित किया। उनकी विरासत आज भी उनके शिष्यों और नृत्य संस्थान 'मधुरिता' के माध्यम से जीवित है। जानें उनके अद्वितीय शिक्षण तरीके और नृत्य के प्रति उनके गहरे प्रेम के बारे में।
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कथक की महान हस्ती मंगला भट्ट की अमर विरासत

मंगला भट्ट: नृत्य की आत्मा

मंगला भट्ट का नाम कथक की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे केवल एक नृत्यांगना या गुरु नहीं थीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत थीं जिन्होंने अपने जीवन को नृत्य की साधना में समर्पित कर दिया। आज वे हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनकी नृत्य विरासत, संस्कार और जुनून उनके शिष्यों और 'मधुरिता' नामक नृत्य संस्थान के माध्यम से अमर हैं।
मंगला भट्ट जी की पहचान उनकी नृत्य के प्रति अटूट भक्ति और गहरे प्रेम से थी। उनके लिए नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका था। उन्होंने न केवल खुद को इस कला में निखारा, बल्कि अनगिनत शिष्यों को भी इस परंपरा से जोड़ा। उनका शिक्षण तरीका अद्वितीय था; वे नृत्य की केवल स्टेप्स नहीं सिखाती थीं, बल्कि उसके पीछे के भाव, आत्मा और अनुशासन को भी अपने शिष्यों में भर देती थीं।
आज उनकी विरासत 'मधुरिता' के माध्यम से जीवित है। उनके शिष्य, जिन्होंने उनसे शिक्षा प्राप्त की, अब उनकी मशाल को आगे बढ़ा रहे हैं। वे न केवल उनके द्वारा सिखाए गए नृत्य रूपों को प्रस्तुत करते हैं, बल्कि मंगला जी के दृष्टिकोण और सिद्धांतों को भी नई पीढ़ी तक पहुँचाते हैं। कथक का जो शुद्ध और पारंपरिक रूप उन्होंने सहेज कर रखा था, वह आज भी 'मधुरिता' में जीवंत है। हर एक ताल, हर एक घुंघरू की आवाज़ में उनकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है।
मंगला भट्ट जी ने यह साबित किया कि कला को न केवल सीखा जा सकता है, बल्कि उसे जिया भी जा सकता है। उनका जीवन और नृत्य का जुनून, समर्पण और अनुशासन का एक बेजोड़ उदाहरण है। वे भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं, जो यह सिखाती हैं कि सच्ची कला कभी मरती नहीं, वह बस एक रूप से दूसरे रूप में जीवित रहती है।
इस प्रकार, मंगला भट्ट जी की विरासत केवल यादों में नहीं, बल्कि हर एक ताल, हर एक मुद्रा और हर एक नृत्य प्रदर्शन में जीवित है। वे सचमुच एक 'नृत्य की आत्मा' थीं जिनकी विरासत सदा कथक के प्रेमियों को प्रेरित करती रहेगी।