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कपाल मोचन मेले में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़, रोडवेज ने बढ़ाई बसों की संख्या

कपाल मोचन मेला अंबाला में श्रद्धालुओं की भीड़ को आकर्षित कर रहा है, जहां रोडवेज ने 45 अतिरिक्त बसें लगाई हैं। श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने की कई दिलचस्प कहानियाँ सामने आई हैं। जानें कैसे पंजाब के लोग इस मेले में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं और उनकी मन्नतें कैसे पूरी हो रही हैं।
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कपाल मोचन मेले में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़, रोडवेज ने बढ़ाई बसों की संख्या

अंबाला में कपाल मोचन मेले का उत्सव

अंबाला, (कपाल मोचन मेला): कपाल मोचन मेले के दूसरे दिन, रोडवेज अधिकारियों ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 45 अतिरिक्त बसें लगाईं, जो रात तक मेले में यात्रियों को ले गईं। पहली बस छावनी बस अड्डे से सुबह 6:30 बजे रवाना हुई। इस दौरान, श्रद्धालुओं की सहायता के लिए बस अड्डे पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई थी।


पहले दिन की 23 बसों की तुलना में, दूसरे दिन 45 बसें श्रद्धालुओं को मेले में ले गईं। पंजाब और हिमाचल से आने वाले श्रद्धालुओं का आना-जाना छावनी बस अड्डे पर लगातार जारी रहा। रोडवेज ने हरनौली और साढ़ौरा के पास चेक पोस्ट स्थापित की थी, जहां सभी बसों में निरीक्षक टिकटों की जांच करते हुए दिखाई दिए।


कपाल मोचन मेले में श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी

बेटा होने की मन्नत पूरी


पंजाब के संगरूर जिले के बहादुरपुर निवासी सुनील कुमार ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं और उन्होंने बेटा होने की मन्नत मांगी थी, जो अब पूरी हो गई है। वह अपनी पत्नी, बेटियों और डेढ़ महीने के बेटे के साथ मेले में आस्था की डुबकी लगाने जा रहे हैं।


कोठी और ट्रैक्टर की मन्नत पूरी


पंजाब के मोगा जिले के पत्तों हीरा गांव के कुलजीत सिंह ने कहा कि वह पिछले 15 साल से मेले में जा रहे हैं। 15 साल पहले उन्होंने कोठी बनने की मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई। इसके बाद उन्होंने ट्रैक्टर लेने की मन्नत मांगी, जो भी पूरी हुई, और अब उनके पास दो ट्रैक्टर हैं। वह इस बार फिर से मेले में जा रहे हैं।


साले के घर बेटे की मन्नत पूरी


मोगा के हरप्रीत सिंह ने बताया कि उनके साले की शादी को कई साल हो गए थे, लेकिन उनके पास कोई बेटा नहीं था। तीन साल पहले उन्होंने मन्नत मांगी थी कि उनके साले के घर बेटा हो, और अब उनका साला एक महीने का बेटा है। इस तरह उनकी मन्नत पूरी हो गई है और वह मेले में जा रहे हैं।


मेले में सामान बेचने का अनुभव


मलेरकोटला के सुरजीत सिंह ने बताया कि वह पिछले 30 साल से मेले में जा रहे हैं। वह मेले में दर्शन के साथ-साथ घोड़ों को सजाने का सामान बेचते हैं और पांच दिन तक मेले में रहते हैं। जब से उन्होंने मेले में जाना शुरू किया है, तब से उनके घर में सुख-समृद्धि आई है।