करण आनंद ने नेपोटिज्म पर अपनी राय साझा की, कहा- मेहनत से मिलती है सफलता
नेपोटिज्म पर करण आनंद का दृष्टिकोण
मुंबई: फिल्म उद्योग में नेपोटिज्म पर अक्सर चर्चा होती है। अभिनेता करण आनंद ने इसे 'बेकार का शोर' करार दिया है। प्रयागराज से मुंबई तक का सफर तय करने वाले करण का मानना है कि अगर आपके पास प्रतिभा है, तो सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता।
करण ने 2014 में रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर के साथ फिल्म 'गुंडे' से अपने करियर की शुरुआत की थी। वर्तमान में, वह महिलाओं की समस्याओं और सार्वजनिक शौचालयों की कमी पर आधारित फिल्म 'जाइए आप कहां जाएंगे' और फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड्स में बेस्ट एक्टर के लिए नामांकित होने के कारण चर्चा में हैं। उन्होंने कहा कि मेहनत करने पर कोई भी बाधा, चाहे वह नेपोटिज्म हो या कुछ और, आपको रोक नहीं सकती।
अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “जब मैंने इस इंडस्ट्री में कदम रखा, तो मेरे पास कोई गॉडफादर नहीं था। न ही कोई फिल्मी बैकग्राउंड या सिफारिश। केवल महादेव की कृपा, माता-पिता का आशीर्वाद और मेरी मेहनत थी। आज मैं यहां हूं, इसका मतलब मेहनत का फल मीठा होता है।” करण ने यह भी कहा कि यह सच है कि स्टार किड्स को जल्दी मौके मिलते हैं, लेकिन लंबे समय तक टिकना केवल प्रतिभा से ही संभव है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “आज जितेंद्र कुमार, कुशा कपिला जैसे कई यूट्यूबर्स और अभिनेता हैं, जिनका कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था, फिर भी वे शीर्ष पर हैं। सोशल मीडिया और ओटीटी ने सभी को समान अवसर दिया है। उनके कंटेंट और बेहतरीन काम को दर्शकों ने सराहा है, अब रोने-धोने से कुछ नहीं होगा, बस अपना काम दिखाना होगा।”
नेपोटिज्म पर उन्होंने कहा, “अगर आप किसी पेशे में सफल हैं और आपका बच्चा भी उसी क्षेत्र में आना चाहता है, तो उसकी मदद करना गलत नहीं है। हर माता-पिता यही करते हैं। असली सवाल यह है कि क्या वह बच्चा अपनी मेहनत से साबित कर पाता है या नहीं।”
मुंबई आने वाले नए लड़के-लड़कियों के लिए करण का संदेश है, “पूरी तैयारी करके आओ। अपने क्राफ्ट (एक्टिंग स्किल) पर दिन-रात काम करो। क्राफ्ट एक अभिनेता के लिए चाकू की तरह है, उसकी धार हमेशा तेज रखो। अंदर से सच्चे रहो। अगर प्रतिभा है, तो एक न एक दिन जरूर चमकोगे।”
