किश्तवाड़ में बादल फटने से आई बाढ़, 46 लोगों की जान गई

किश्तवाड़ में बाढ़ की तबाही
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में 14 अगस्त को मचैल माता यात्रा मार्ग पर बादल फटने से अचानक बाढ़ आई, जिससे भारी नुकसान हुआ। इस त्रासदी में कम से कम 46 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश तीर्थयात्री शामिल थे। अधिकारियों ने बताया कि अब तक 160 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
लापता लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका
किश्तवाड़ के डीसी पंकज कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि कई लोग अभी भी लापता हैं, जिससे मृतकों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है। यह घटना चशोटी गांव में दोपहर 12 से 1 बजे के बीच हुई, जो मचैल माता मंदिर की ओर जाने वाला अंतिम मोटर योग्य बिंदु है। इस गांव से मंदिर तक 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती है। उस समय सैकड़ों श्रद्धालु यात्रा के लिए एकत्रित हुए थे।
लंगर पर बाढ़ का प्रभाव
बादल फटने से लंगर पर पड़ा सबसे ज्यादा असर
बाढ़ ने तीर्थयात्रियों के लिए बनाए गए एक लंगर को पूरी तरह से बहा दिया। एक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवान का शव बरामद किया गया है, जबकि तीन अन्य लापता हैं। राहत और बचाव कार्य दुर्गम इलाके में जारी हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टरों से सहायता पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
नेताओं की प्रतिक्रिया और बचाव प्रयास
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस आपदा पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए किश्तवाड़ के उपायुक्त से बात की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "चशोटी क्षेत्र में भारी बादल फटने से काफी हताहत होने की संभावना है। प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी है।" जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से स्थिति की जानकारी दी और कहा कि सभी संभव संसाधनों को जुटाया जा रहा है।
मॉनसून का कहर
मॉनसून का कहर और अन्य राज्यों में स्थिति
देश के कई हिस्सों में मॉनसून की भारी बारिश ने तबाही मचाई है। उत्तराखंड के चमोली जिले में भूस्खलन के कारण सड़कें जाम हो गईं। हिमाचल प्रदेश में भी बादल फटने और बाढ़ ने भारी नुकसान किया है। स्थानीय मौसम कार्यालय ने 20 अगस्त तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
मचैल माता यात्रा का महत्व
मचैल माता यात्रा का महत्व
मचैल माता मंदिर, मां दुर्गा को समर्पित एक पवित्र तीर्थस्थल है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं। इस साल यात्रा 25 जुलाई को शुरू हुई थी और 5 सितंबर तक चलने वाली थी। इस हादसे ने तीर्थयात्रियों और स्थानीय प्रशासन को गहरे सदमे में डाल दिया है।
राहत और बचाव के प्रयास
राहत और बचाव के प्रयास
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू किया है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्थानीय लोग भी प्रशासन के साथ सहयोग कर रहे हैं।