केरल फिल्म महोत्सव में सेंसर छूट की कमी से रद्द हुई कई फिल्में
केरल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में संकट
केरल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (IFFK) के 12वें संस्करण में सेंसर छूट सर्टिफिकेट की अनुपलब्धता के कारण संकट उत्पन्न हो गया है, जिसके चलते तिरुवनंतपुरम में कई फिल्मों की स्क्रीनिंग रद्द कर दी गई है। आयोजकों के अनुसार, पिछले दो दिनों में निर्धारित सात फिल्मों की स्क्रीनिंग आवश्यक छूट सर्टिफिकेट न मिलने के कारण रोक दी गई।
वर्तमान में, IFFK-2025 के आयोजक लगभग 19 फिल्मों के प्रदर्शन के लिए आधिकारिक सेंसर छूट का इंतजार कर रहे हैं, जिनमें फलस्तीन संघर्ष से संबंधित फिल्में, सर्गेई आइजनस्टीन की 100 साल पुरानी क्लासिक बैटलशिप पोटेमकिन और बीफ नामक एक फिल्म शामिल हैं।
सूचनाएं और अनुमोदन की प्रक्रिया
सोमवार को सूत्रों ने जानकारी दी कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इन फिल्मों को 12 से 19 दिसंबर तक आयोजित होने वाले 30वें IFFK में प्रदर्शित करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए बातचीत चल रही है।
IFFK के एक संदेश में कहा गया है कि 15 दिसंबर को शाम 6.30 बजे श्री थिएटर में प्रदर्शित होने वाली बैटलशिप पोटेमकिन का प्रदर्शन रद्द कर दिया गया है। एक संशोधित कार्यक्रम जल्द ही जारी किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, बैटलशिप पोटेमकिन सिनेमा के सबसे प्रभावशाली कार्यों में से एक है, जिसे फिल्म इतिहास में महानतम माना जाता है। इसके अलावा, फलस्तीन-थीम वाली फिल्म ऑल दैट्स लेफ्ट ऑफ यू और बीफ भी अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रही हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
अनुमोदन में कथित देरी के कारण मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कड़ी आलोचना की है।
माकपा महासचिव एम ए बेबी ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप के लिए जिम्मेदार ठहराया और इसे बेहद बेतुका और अजीब हस्तक्षेप बताया, जो डर पैदा करता है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मंत्रालय की कार्रवाई अतार्किक और सत्तावादी है।
उन्होंने कहा कि बैटलशिप पोटेमकिन एक क्लासिक फिल्म है, जिसे दुनिया भर के फिल्म निर्माता सम्मान के साथ अध्ययन करते हैं, लगभग एक पाठ्यपुस्तक की तरह। उन्होंने आरोप लगाया कि कट्टरपंथियों के एक समूह ने तय किया है कि फिल्म प्रदर्शित नहीं होनी चाहिए, जो दर्शाता है कि देश किस खतरनाक दिशा में जा रहा है।
