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केरल में कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी: चुनावों से पहले की चुनौतियाँ

केरल में कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाजी की समस्या गहराती जा रही है, खासकर जब चुनाव नजदीक हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। हाल ही में हुई बैठक में पार्टी के नेता आपस में भिड़ गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आंतरिक मतभेदों का समाधान करना चुनौतीपूर्ण है। जानिए इस मुद्दे के पीछे की कहानी और इसके संभावित चुनावी प्रभाव।
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केरल में कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी: चुनावों से पहले की चुनौतियाँ

कांग्रेस पार्टी की आंतरिक समस्याएँ

केरल में कांग्रेस पार्टी के भीतर स्थिति संतोषजनक नहीं है। यह आश्चर्यजनक है कि राहुल गांधी ने पांच वर्षों तक वायनाड से सांसद रहते हुए और अब उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी वहां से सांसद हैं, फिर भी गुटबाजी का सिलसिला जारी है। हाल ही में प्रियंका के वायनाड दौरे के दौरान इस विवाद के बारे में कई बातें सामने आईं। अब यह जानकारी मिली है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने केरल के नेताओं के साथ एक बैठक की, जिसमें आपसी मतभेद खुलकर सामने आए। ध्यान देने योग्य है कि केरल में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं और अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव भी हैं। इस बैठक का उद्देश्य गुटबाजी को समाप्त करना था, लेकिन यह और भी स्पष्ट हो गया कि मतभेद गहरे हैं।


सूत्रों के अनुसार, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सनी जोसेफ, विधायक दल के नेता वीडी सतीशन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुधाकरण और रमेश चेन्निथला ने अलग-अलग गुट बना रखे हैं और अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। बैठक के दौरान, सतीशन ने यह शिकायत की कि जोसेफ समन्वय के साथ काम नहीं कर रहे हैं। यही शिकायत सुधाकरण ने भी की। वहीं, चेन्निथला ने अपनी यात्रा को अकेले ही आगे बढ़ाने की बात की, जिससे पार्टी के अन्य नेताओं में नाराजगी उत्पन्न हुई। जब तक एके एंटनी सक्रिय थे, तब तक कांग्रेस की गुटबाजी का प्रभाव कम था। लेकिन अब उनके रिटायर होने के बाद और राहुल द्वारा केसी वेणुगोपाल को प्रमुख बनाए जाने के बाद स्थिति और भी जटिल हो गई है। वेणुगोपाल पार्टी के नेताओं को एकजुट करने में असफल रहे हैं, और उनके बिना केरल में कोई निर्णय लेना संभव नहीं है। इस कारण से कांग्रेस के अनुभवी नेताओं में अगले साल के चुनावों को लेकर चिंता बढ़ गई है।