क्या राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पवार परिवार में फिर से जुड़ाव हुआ? जानिए सगाई समारोह की खास बातें

पारिवारिक समारोह में एकजुटता का संदेश
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में दो साल पहले हुए राजनीतिक विभाजन के बाद, एक सुखद पारिवारिक अवसर ने दोनों गुटों को एक साथ लाने का काम किया। रविवार को मुंबई में शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार और तनिष्का कुलकर्णी की सगाई समारोह में एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता शरद पवार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एक साथ नजर आए। इस पारंपरिक समारोह में पारिवारिक प्रेम और सौहार्द की झलक देखने को मिली।
सगाई का आयोजन
यह सगाई समारोह तनिष्का के मुंबई स्थित घर पर एक निजी कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। युगेंद्र पवार, अजीत पवार के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। इस समारोह में पूरा पवार परिवार, जिसमें शरद पवार, अजीत पवार, सुप्रिया सुले और अन्य सदस्य शामिल थे, एकत्रित हुआ। पारिवारिक विभाजन के बावजूद सभी सदस्य एक-दूसरे को आशीर्वाद देते और मुस्कुराते हुए नजर आए।
राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पारिवारिक संबंध
यह ध्यान देने योग्य है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में युगेंद्र ने बारामती सीट से अपने चाचा अजीत पवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर भी, इस पारिवारिक समारोह में कोई राजनीतिक कटुता नहीं दिखाई दी। यह दृश्य उस सगाई समारोह के कुछ महीनों बाद का है जिसमें पवार परिवार ने अजीत पवार के छोटे बेटे जय पवार की सगाई में भी भाग लिया था।
एनसीपी का विभाजन
2023 में अजीत पवार के एनसीपी से अलग होकर भाजपा-समर्थित सरकार में शामिल होने के बाद पार्टी का औपचारिक विभाजन हुआ। इस कदम ने न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक समीकरणों को भी प्रभावित किया। सुप्रिया सुले ने लोकसभा चुनाव में अपनी भाभी सुनेत्रा पवार के खिलाफ चुनाव लड़कर इस विभाजन को और गहरा किया।
सुप्रिया सुले का राजनीतिक दृष्टिकोण
राजनीतिक मोर्चे पर सुप्रिया सुले ने सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर महाराष्ट्र में बढ़ते अपराधों को रोकने में असफल रहने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि अपराधियों में कानून का भय खत्म हो गया है और सरकार केवल मूकदर्शक बनी हुई है।
केंद्र की योजनाओं पर सवाल
सुले ने केंद्र की 'माझी लड़की बहिन योजना' में 4,900 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप भी लगाया, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अलावा, उन्होंने बिहार में मतदाता सूची में अनियमितताओं को लेकर निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाए और चुनावी पारदर्शिता पर संसद में खुली बहस की मांग की।
परिवारिक संबंधों की मजबूती
इस सगाई समारोह ने यह स्पष्ट किया कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पवार परिवार के रिश्ते पूरी तरह से टूटे नहीं हैं। खास मौकों पर वे एकजुट होकर यह संदेश देते हैं कि पारिवारिक संबंध राजनीति से ऊपर होते हैं।