गुरु दत्त की 100वीं जयंती: उनके जीवन के 5 अनकहे किस्से
गुरु दत्त का जन्म और करियर
गुरु दत्त 100वीं जयंती: साहिब बीबी और गुलाम, प्यासा, कागज के फूल और चौदहवीं का चांद जैसी फिल्मों में अपने अभिनय और निर्देशन के लिए मशहूर गुरु दत्त का जन्म 9 जुलाई, 1925 को बेंगलुरु में हुआ था। उन्होंने 39 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जीवन में कई दुखद घटनाएं थीं, और उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की कहानियां उनके करियर से कहीं अधिक चर्चित रहीं। आज हम उनके 100वें जन्मदिन पर उनके जीवन के 5 दिलचस्प किस्से साझा करेंगे।
गुरु दत्त का कठिन बचपन
गुरु दत्त का बचपन कोलकाता में बीता, जहां उनके माता-पिता के बीच तनावपूर्ण संबंध थे। इस तनाव का असर उनके जीवन पर पड़ा। आर्थिक समस्याओं के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने परिवार की मदद के लिए उन्होंने पुणे में एक कंपनी में कोरियोग्राफर के रूप में काम किया।
संघर्षपूर्ण वैवाहिक जीवन
गुरु दत्त ने 1953 में प्रसिद्ध गायिका गीता रॉय से विवाह किया। प्रारंभ में उनका रिश्ता अच्छा रहा, लेकिन बाद में उनकी शादी में समस्याएं आने लगीं।
वहीदा रहमान के प्रति प्रेम
गुरु दत्त और वहीदा रहमान ने कई सफल फिल्मों में साथ काम किया, जैसे प्यासा और कागज के फूल। काम के दौरान दोनों के बीच प्यार हो गया, और गुरु दत्त ने वहीदा के लिए विशेष किरदार लिखना शुरू कर दिया। हालांकि, गुरु दत्त की शादीशुदा स्थिति ने उनके रिश्ते को आगे बढ़ने से रोका।
बंगला तोड़ने का निर्णय
गुरु दत्त और गीता रॉय का एक भव्य बंगला था, जिसे उन्होंने अपने जन्मदिन पर तोड़ दिया। गीता को लगता था कि वह बंगला भूतिया है और वहां रहने से उनकी शादीशुदा जिंदगी प्रभावित हो रही है।
मौत पर गुरु दत्त की बातें
गुरु दत्त की जिंदगी में कई दुखद घटनाएं थीं। वह अक्सर लोगों से मृत्यु के विषय में बात करते थे और कहते थे कि नींद की गोली को पानी के साथ लेना चाहिए, जैसे मां अपने बच्चे को दवा देती है।