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गुरु दत्त की क्लासिक फिल्में फिर से बड़े पर्दे पर

भारतीय सिनेमा के महान फिल्म निर्माता गुरु दत्त की कालजयी कृतियाँ, जैसे 'प्यासा' और 'बाज़', एक बार फिर से बड़े पर्दे पर लौटने जा रही हैं। फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन और PVR Inox के सहयोग से इन फिल्मों को पुनर्स्थापित किया गया है। यह पहल न केवल पुरानी पीढ़ी को यादें ताज़ा करने का मौका देगी, बल्कि नई पीढ़ी को भी भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग से परिचित कराएगी। इन फिल्मों को देखने का अनुभव अद्वितीय होगा, जिसमें उनकी सिनेमैटोग्राफी और संगीत का आनंद लिया जा सकेगा।
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गुरु दत्त की क्लासिक फिल्में फिर से बड़े पर्दे पर

गुरु दत्त की कालजयी कृतियों की वापसी

भारतीय सिनेमा के महान फिल्म निर्माता गुरु दत्त के प्रशंसकों के लिए एक शानदार समाचार है! उनकी प्रसिद्ध फिल्में, जैसे 'प्यासा' और 'बाज़', एक बार फिर से बड़े पर्दे पर लौटने जा रही हैं। यह उन सिनेमा प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अवसर है जो इन क्लासिक्स को उनकी असली भव्यता में देखना चाहते हैं।
फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (FHF) ने PVR Inox के सहयोग से इस विशेष पहल की घोषणा की है। फाउंडेशन के संस्थापक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर के प्रयासों से गुरु दत्त की इन अनमोल फिल्मों को सफलतापूर्वक पुनर्स्थापित किया गया है, ताकि नई पीढ़ी भी उनकी कला का अनुभव कर सके।
ये फिल्में भारत के प्रमुख शहरों में PVR Inox सिनेमाघरों में मध्य मई 2024 से प्रदर्शित की जाएंगी। इस विशेष श्रृंखला में 'प्यासा' (1957) और 'बाज़' (1953) के अलावा 'कागज़ के फूल' (1959), 'चौदहवीं का चाँद' (1960) और 'मिस्टर एंड मिसेस '55' (1955) जैसी अन्य उत्कृष्ट कृतियाँ भी शामिल होंगी।
गुरु दत्त की फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि वे कला, समाज और मानवीय भावनाओं का गहरा चित्रण करती थीं। 'प्यासा' जैसी फिल्में आज भी प्रासंगिक हैं, जो समाज और एक संवेदनशील कलाकार के संघर्ष को खूबसूरती से दर्शाती हैं। यह पहल न केवल पुरानी पीढ़ी को अपनी यादें ताज़ा करने का मौका देगी, बल्कि नई पीढ़ी को भी भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग से परिचित कराएगी।
इन फिल्मों को बड़े पर्दे पर देखना एक अनूठा अनुभव होगा, खासकर उनकी अद्वितीय सिनेमैटोग्राफी, मधुर संगीत और भावपूर्ण अदाकारी को नए सिरे से सराहने का अवसर मिलेगा। यह भारतीय फिल्म विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गुरु दत्त का जादू एक बार फिर सिनेमाघरों में छाने को तैयार है। तो तैयार हो जाइए, भारतीय सिनेमा के इस स्वर्णिम अध्याय को फिर से जीने के लिए!