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गुरुग्राम में भारी ट्रैफिक जाम: क्या है समाधान?

गुरुग्राम में हाल ही में हुई भारी बारिश ने ट्रैफिक जाम की समस्या को और बढ़ा दिया है, जिससे लोग घंटों तक सड़कों पर फंसे रहे। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौकरीपेशा व्यक्ति हर साल 68 दिन ट्रैफिक में बर्बाद कर देता है। बेंगलुरु और कोलकाता जैसे शहरों में ट्रैफिक की स्थिति बेहद खराब है। यह समस्या केवल समय की बर्बादी नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर भी असर डाल रही है। जानें इस समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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गुरुग्राम में भारी ट्रैफिक जाम: क्या है समाधान?

गुरुग्राम में ट्रैफिक जाम की समस्या

गुरुग्राम में ट्रैफिक जाम: कोविड-19 के दौरान 'न्यू नॉर्मल' शब्द का उपयोग आम हो गया था, जब मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाना हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। अब, ट्रैफिक जाम भी लोगों के लिए एक नया सामान्य बन गया है। घंटों तक सड़कों पर फंसे रहना अब एक सामान्य बात हो गई है, और लोग इसे अपनी किस्मत मानकर सहन कर रहे हैं। 


1 सितंबर, सोमवार को, दिल्ली के निकट गुरुग्राम में हुई तेज बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। भारी बारिश के बाद शहर जाम में तब्दील हो गया, जिससे 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को 4 से 5 घंटे लग गए। सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें, हॉर्न की आवाज़ें और लोगों की बेचैनी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थी। वायरल वीडियो ने घर पर बैठे लोगों को भी चिंतित कर दिया। 


ट्रैफिक में बर्बाद हो रहे हैं 68 दिन

68 दिन ट्रैफिक में बर्बाद कर रहे हैं आप


एक अध्ययन के अनुसार, नौकरीपेशा भारतीय व्यक्ति अपने दिन का 6 प्रतिशत समय यात्रा में बर्बाद कर देता है, यानी ऑफिस आने-जाने में। सालाना आधार पर, एक औसत व्यक्ति हर साल 754 घंटे, यानी 68 दिन, केवल ट्रैफिक में फंसे रहते हुए बिताता है। सोचिए, अगर ये समय छुट्टी में मिलता, तो कितना अच्छा होता, लेकिन हम इसे जाम में बर्बाद कर रहे हैं। 


भारत के शहरों में ट्रैफिक की स्थिति

इन शहरों का सबसे बुरा हाल


टॉमटॉम ट्रैफिक इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे खराब ट्रैफिक की स्थिति कोलकाता और बेंगलुरु में है। एशियन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार, भारत के शहरों में हर 6 साल में गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो रही है, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि और कमजोर शहरी योजना है। 


बेंगलुरु और एनसीआर में ट्रैफिक की स्थिति

बेंगलुरु और एनसीआर में हालात


बेंगलुरु में 2024 में 19 किलोमीटर की दूरी तय करने में 54 मिनट लगते थे, लेकिन 2025 में अब यही दूरी तय करने में 63 मिनट से अधिक लग रहे हैं। इसी तरह, एनसीआर में 26 किलोमीटर की दूरी पार करने में 65 मिनट से ज्यादा का समय लग रहा है। सोमवार के दिन, जब हफ्ते की शुरुआत होती है, हालात और भी खराब हो जाते हैं। 


ये ट्रैफिक जाम अब केवल समय की बर्बादी नहीं, बल्कि लोगों की मानसिक सेहत, उत्पादकता और पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित कर रहे हैं। कई लोग इसे 'अदृश्य टैक्स' मानने लगे हैं, जो रोजाना समय, पैसा और धैर्य को खा रहा है। अब यह आवश्यक है कि शहरों में केवल चौड़ी सड़कें बनाने के बजाय स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन में सुधार और तकनीकी आधारित सिस्टम की आवश्यकता है। अन्यथा, आने वाले वर्षों में ट्रैफिक केवल समय की नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी समस्या बन सकता है।