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गुलजार का 91वां जन्मदिन: एक अद्वितीय यात्रा

गुलजार, जो आज 91 वर्ष के हो गए हैं, ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ देखे हैं। उनका जन्म पाकिस्तान में हुआ था, और विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आया। उन्होंने गीत लेखन और निर्देशन में अद्वितीय योगदान दिया है। उनके प्रसिद्ध गाने और पुरस्कार उनकी प्रतिभा को दर्शाते हैं। इस लेख में, हम उनके जीवन की कुछ दिलचस्प बातें साझा कर रहे हैं, जो उनके जन्मदिन के अवसर पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
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गुलजार का 91वां जन्मदिन: एक अद्वितीय यात्रा

गुलजार का जन्मदिन

आज, 18 अगस्त को, प्रसिद्ध स्क्रिप्ट राइटर, स्टोरी राइटर और गीतकार गुलजार अपना 91वां जन्मदिन मना रहे हैं। पिछले 60 वर्षों से, वह हर पीढ़ी और वर्ग के बीच उतने ही प्रिय हैं, जितने कि 60 और 70 के दशक में थे। जब भी उन्होंने कलम उठाई, उन्होंने ऐसा जादू बिखेरा कि लोग उनके दीवाने हो गए। गुलजार ने जिस भी क्षेत्र में कदम रखा, उसे उन्होंने अपनी विशेषता से भर दिया, चाहे वह कविता, गीत, पटकथा, कहानी या निर्देशन हो। उन्होंने हर कार्य को पूरी मेहनत और समर्पण के साथ किया है। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर गुलजार के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं...


जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को पाकिस्तान के झेलम के दीना में हुआ था। उनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। विभाजन के बाद, उनका परिवार पंजाब के अमृतसर में बस गया। गुलजार की मां का साया बचपन में ही उठ गया था, और पिता का प्यार भी उन्हें नहीं मिला। इस खालीपन को भरने के लिए उन्होंने शब्दों का सहारा लिया। अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने मुंबई का रुख किया, लेकिन वहां की जिंदगी आसान नहीं थी। शुरुआती दिनों में, उन्होंने मुंबई के वर्ली में एक गैराज में मैकेनिक का काम किया।


जीवन का नया मोड़

गुलजार की जिंदगी में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनकी मुलाकात प्रसिद्ध निर्देशक बिमल रॉय से हुई। उन्हें फिल्म 'बंदिनी' में गाना लिखने का अवसर मिला। इस फिल्म में उन्होंने 'मोरा गोरा अंग लईले, मोहे श्याम रंग दईदे' गीत लिखा, जिसे बहुत सराहा गया। इसके बाद, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। गीत लेखन के साथ-साथ, उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया, जैसे 'नमकीन', 'मौसम', 'किरदार', 'आंधी' और 'हुतूतू'।


पुरस्कारों की झड़ी

गुलजार को 20 फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इनमें से 11 पुरस्कार उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार और बेस्ट डायलॉग के लिए मिले हैं। इसके अलावा, 'स्लमडॉग मिलेनियर' के लिए उन्हें ऑस्कर पुरस्कार भी मिला।


गुलजार के प्रसिद्ध गाने

गुलजार ने कई खूबसूरत गीत लिखे हैं, जिनकी सूची बहुत लंबी है। लेकिन 'कजरारे कजरारे', 'छैंया छैंया' और 'तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं' जैसे गाने उनकी कलम से निकले हैं। उनकी लेखनी में दिल्ली की बल्लीमारान की गलियों से लेकर मुंबई की रेलगाड़ियों तक का सफर महसूस होता है।