चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट में नई बाधाएं: रिपोर्ट में खामियां सामने आईं

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट में देरी
चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट में खामियों के चलते फिर से रिपोर्ट तैयार की जाएगी: चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट का इंतजार अब और बढ़ गया है! चंडीगढ़, मोहाली, और पंचकूला के निवासियों को तेज और सुविधाजनक यात्रा का सपना दिखाने वाली इस 25,631 करोड़ रुपये की योजना में एक बार फिर रुकावट आ गई है।
चंडीगढ़ प्रशासन ने कंसल्टेंट कंपनी RITES लिमिटेड की रिपोर्ट में कई कमियां पाई हैं और इसे फिर से तैयार करने का आदेश दिया है। मंगलवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में खर्च, लाभ, और यात्रियों की संख्या में गड़बड़ियों का पता चला। आखिरकार, यह मेगा प्रोजेक्ट बार-बार क्यों अटक रहा है? आइए, इसकी पूरी कहानी समझते हैं और जानते हैं कि मेट्रो का सपना कब साकार होगा।
चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट की वास्तविकता
चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट को चंडीगढ़, मोहाली, और पंचकूला को जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। यह 85.65 किमी लंबा प्रोजेक्ट तीन कॉरिडोर में विकसित होगा। RITES की रिपोर्ट के अनुसार, यदि मेट्रो पूरी तरह से एलिवेटेड होगी, तो इसकी लागत 2031 तक 25,631 करोड़ रुपये होगी, जबकि अंडरग्राउंड मेट्रो की लागत 30,498 करोड़ रुपये तक जा सकती है।
यह मेट्रो ट्रैफिक जाम से राहत और तेज़ यात्रा का वादा करती है। लेकिन मंगलवार की बैठक में प्रशासन ने पाया कि RITES की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बातें गायब हैं। बिना पूरी जानकारी के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, इसलिए अब नई रिपोर्ट का इंतजार है।
RITES की रिपोर्ट में खामियां
RITES लिमिटेड, जो एक सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी है, ने अपनी रिपोर्ट में ट्रैफिक डिमांड, ज़ोनल एनालिसिस, यात्रियों की संख्या, ट्रेन संचालन, बिजली आपूर्ति, और लागत का विश्लेषण किया। लेकिन कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब अनुपस्थित थे।
उदाहरण के लिए, प्रोजेक्ट का वित्तीय मॉडल, भविष्य में यात्रियों की वृद्धि, और पर्यावरणीय प्रभाव जैसे मुद्दे अधूरे थे। चंडीगढ़ प्रशासन ने RITES को स्पष्ट कर दिया कि जब तक ये कमियां दूर नहीं होंगी, प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ेगा। अब RITES को पूरी रिपोर्ट फिर से तैयार करनी होगी, जिससे प्रोजेक्ट में और देरी निश्चित है।
प्रशासन और समिति की भूमिका
नवंबर 2024 में चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने इस प्रोजेक्ट की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने जनवरी और फरवरी में बैठकें कीं, लेकिन RITES की अधूरी रिपोर्ट ने सभी को निराश किया।
समिति यह देख रही है कि मेट्रो कितनी आवश्यक और लाभकारी है। मंगलवार को चंडीगढ़, पंजाब, और हरियाणा के अधिकारियों की बैठक में भी यही बात सामने आई कि बिना ठोस डेटा के इतने बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देना जोखिम भरा है। अब नई रिपोर्ट आने तक कोई निर्णय नहीं होगा।
लोगों की निराशा
चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट में देरी से लोग निराश हैं। यह प्रोजेक्ट न केवल ट्रैफिक की समस्या का समाधान कर सकता है, बल्कि तीन शहरों को जोड़कर विकास को नई गति भी दे सकता है। लेकिन अधूरी रिपोर्ट और खामियों ने इसे फिर से पीछे धकेल दिया है। यदि आप भी मेट्रो का इंतजार कर रहे हैं, तो थोड़ा और धैर्य रखें। RITES की नई रिपोर्ट और प्रशासन के निर्णय पर नज़र रखें।