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चीन-भारत व्यापार में नया रिकॉर्ड, अमेरिका की टैरिफ नीति पर सवाल

चीन और भारत के बीच व्यापार ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिसमें पिछले महीने का आयात 12.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। अमेरिका की टैरिफ नीति ने इस व्यापार को प्रभावित किया है, लेकिन चीन ने अपनी रणनीति में बदलाव कर भारत के साथ व्यापार बढ़ाया है। जानें कैसे एप्पल का आईफोन उत्पादन और चीन से आने वाले पुर्जे इस व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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चीन-भारत व्यापार में नया रिकॉर्ड, अमेरिका की टैरिफ नीति पर सवाल

चीन और भारत के बीच व्यापार में वृद्धि

अमेरिका ने उम्मीद की थी कि ऊंचे टैरिफ लगाकर वह चीन को पीछे छोड़ देगा। लेकिन परिणाम इसके विपरीत निकला, चीन ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और अमेरिका को चौंका दिया। अब चीन और भारत के बीच व्यापार में अरबों डॉलर का नया रिकॉर्ड बन रहा है। हाल ही में आई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने भारत का चीन से आयात 12.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा ऐतिहासिक है और इसका मुख्य कारण एप्पल का आईफोन उत्पादन है। आप सोच रहे होंगे कि आईफोन का उत्पादन भारत में क्यों हो रहा है, जबकि चीन को इससे लाभ कैसे हो रहा है। तो आपको बता दें कि भारत में फोन की असेंबलिंग हो रही है, लेकिन चिप्स और अन्य पुर्जे अभी भी चीन से ही आ रहे हैं। 


चीन से भारत को भेजे गए इलेक्ट्रॉनिक सामान

जुलाई 2025 में, चीन ने भारत को 1 अरब डॉलर के कंप्यूटर चिप्स भेजे। इसके अलावा, अरबों डॉलर के फोन और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स भी भारतीय फैक्ट्रियों में पहुंचे। इसका मतलब है कि एप्पल की 'मेड इन इंडिया' कहानी के पीछे 'मेड इन चाइना' का योगदान भी है। यह रिकॉर्ड व्यापार उस समय हो रहा है जब अमेरिका ने चीन और भारत पर उच्च टैरिफ लगा रखे हैं। ट्रंप प्रशासन ने सोचा था कि टैरिफ बढ़ाने से चीन और भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाएगी, लेकिन चीन ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और भारत के साथ व्यापार बढ़ाया। अब भारत, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे नए बाजारों में प्रवेश कर चुका है। 


चीन की रणनीति और अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका तक पहुंच सीमित होने के बावजूद, चीनी निर्माताओं ने यह साबित कर दिया है कि वे पीछे नहीं हटेंगे। जेपी मॉर्गन के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री साजिद चिनॉय ने एक साक्षात्कार में कहा कि वैश्विक व्यापार में तेजी से बदलाव के कारण उभरते बाजारों के लिए कठिन समय आ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि बढ़ते अमेरिकी टैरिफ, अत्यधिक चीनी उत्पादन क्षमता और तेज़ स्वचालन का मिश्रण विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास मॉडल को नया रूप दे सकता है।


उभरते बाजारों की चुनौतियाँ

चिनॉय ने कहा कि उभरते बाजारों में शुरुआत करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर जो कुछ हो रहा है, उसका असली खामियाजा इन्हें ही भुगतना पड़ेगा। हम 1930 के दशक के बाद से सबसे ऊँचे टैरिफ स्तरों की ओर बढ़ रहे हैं, और प्रभावी अमेरिकी दर 17-18% तक बढ़ सकती है।